Friday, April 19, 2024

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अल्मोड़ा में डॉक्टरों पर मिलीभगत कर मरीज की किडनी निकालने का आरोप, डॉक्टर बोले- इलाज के दौरान निकाली संक्रमित किडनी

अंग्वाल संवाददाता
अल्मोड़ा में डॉक्टरों पर मिलीभगत कर मरीज की किडनी निकालने का आरोप, डॉक्टर बोले- इलाज के दौरान निकाली संक्रमित किडनी

रानीखेत । अल्मोड़ा जिले के रानीखेत पपना निवासी नरेंद्र सिंह रावत की मौत के बाद उनकी किडनी निकाले जाने के आरोप लगाते हुए पीड़ित परिवार ने साईं अस्पताल में जमकर हंगामा किया। असल में अस्पताल में  ऑपरेशन के दो दिन बाद सोमवार सुबह मरीज की मौत हो गई थी। लेकिन पीड़ित परिवार ने दो लोगों पर डॉक्टरों की मिलीभगत करके मृतक की किडनी निकलवाने का आरोप लगाया है।  शिकायत के विपरीत अस्पताल प्रबंधन ने किड़नी निकालने की साजिश के आरोप का खारिज करते हुए का दावा किया कि  डायबिटीज के चलते मरीज की किडनी में संक्रमण हो गया था, मरीज की जान बचाने के लिए बाईं तरफ की एक किडनी निकाली गई। 

असल में अल्मोड़ा के रानीखेत पपना निवासी नरेंद्र सिंह रावत की सोमवार सुबह साईं अस्पताल में मौत हो गई। नरेंद्र की श्यामा गार्डन के पास कपड़ों की दुकान थी। कुछ माह पहले पारिवारिक विवादों के चलते उनकी पत्नी दीपा से उनकी दूरियां बढ़ गईं थीं। ऐसे में नरेंद्र सिंह इन दिनों अकेले ही रह रहे थे। पिछले दिनों से वह बीमार थे। इस पर उन्हें साईं अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। अस्पताल में मौजूद सतेश्वरी रावत ने बताया कि नरेंद्र सिंह उसके भाई सुरजीत के दोस्त थे। भाई के कहने पर उसने नरेंद्र को अस्पताल में भर्ती कराया। ऑपरेशन से पहले नरेंद्र ने अपने परिवार से बात करने को कहा था,  मगर कोई नहीं आया। अस्पताल में ऑपरेशन के दो दिनों बाद नरेंद्र की मौत हो गई। 

साईं अस्पताल के डॉ. संजय कुमार ने बताया कि शनिवार को उनके पास दो लोग नरेंद्र को लेकर गंभीर अवस्था में आए थे। भर्ती कराने वालों ने खुद को भाई-बहन बताया था। मरीज डायबिटीज के साथ सीवियर सेफ्टीशॉक से पीड़ित था। दस हजार रुपये जमा करने के बाद इलाज शुरू हुआ। जांच से पता चला कि किडनी में संक्रमण है। इसके चलते उनके पेट में संक्रमण फैल सकता था, ऐसे में इलाज के तहत उनकी बाईं तरफ की एक किडनी निकाली गई। ऑपरेशन से पहले परिजनों को फोन किया गया था लेकिन वे नहीं आए।  किडनी निकालने के बाद उसे चंदन डायग्नोसिस्ट सेंटर में बायोप्सी टेस्ट के लिए भेजा गया है। अस्पताल के प्रबंध निदेशक मोहन सती ने दावा किया कि इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई। हालांकि बाद में उनकी मौत हो गई।


जबकि नरेंद्र की पत्नी काआरोप है कि किडनी निकालने की साजिश में शामिल दो लोगों ने फर्जी भाई-बहन बनकर उसके पति को अस्पताल में को भर्ती कराया था ।  दीपा रावत ने पति को भर्ती कराने वाली महिला सतेश्वरी की भूमिका पर संदेह जताया है। आरोप लगाया कि सतेश्वरी नरेंद्र सिंह की बहन नहीं है। उसने फर्जी बहन बनकर दस्तखत किए हैं। दीपा ने कहा कि वह अस्पताल में रविवार को आईं थी।

इस घटना की शिकायत पर मुखानी थानाध्यक्ष नंदन सिंह रावत का कहना है कि रजिस्टर में नरेंद्र की पत्नी दीपा ने दस्तखत किए हैं। आरोपों की जांच की जाएगी।  

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