नैनीताल । उत्तराखंड में स्टोन क्रशरों का मुद्दा लंबे समय से राज्य की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा रहा है । बड़ी संख्या में अवैध स्टोन क्रशरों की संख्या को लेकर गंभीर चिंता भी जताई जा चुकी है । इस सब के बीच इस मुद्दे पर हाईकोर्ट का रुख सख्त हो गया है । आरोप हैं कि राज्य सरकार ने बड़ी संख्या में स्टोन क्रशर को नियमों को ताक पर रखकर अनुमति दे दी थी, ऐसे में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और राज्य प्रदूषण बोर्ड को एक सप्ताह के भीतर अपना जवाब शपथ पत्र में दाखिल करने को कहा है । असल में आरोप लगे हैं कि राज्य सरकार ने बीते एक साल में राज्य प्रदूषण बोर्ड की अनुमति के बिना 54 से ज्यादा स्टोन क्रशर खोलने की अनुमति जारी कर दी ।
विदित हो कि उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य प्रदूषण बोर्ड की अनुमति के बिना 54 से ज्यादा क्रशर खोलने की इजाजत दिए जाने पर आनंद नेगी व अन्य ने हाईकोर्ट में सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए स्टोन क्रशरों को बंद करने की मांग की है । अपनी याचिका में इन लोगों ने कहा कि सरकार ने मानकों को ताक पर रखकर 54 स्टोन क्रशरों की अनुमति दी गई है जिसमें से कई को अनुमति संरक्षित जोन गंगोत्री नेशनल पार्क में तक दी गई है ।
बहरहाल, आनंद नेगी समेत अन्य की याचिका पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एक सप्ताह में यह बताने के लिए कहा है कि आखिरकार उन्होंने जिन स्टोन क्रशर को अनुमति दी है, उसके लिए क्या उन्होंने राज्य प्रदूषण बोर्ड से अनुमति ली भी थी या नहीं । कोर्ट ने यह भी पूछा है कि जब आवासीय आबादी के लिए ध्वनि प्रदूषण की सीमा 55 डेसिबल रखी गई है तो इन स्टोन क्रशर को 75 डेसिबल तक ध्वनि प्रदूषण करने की इजाजत किसने दी ।