देहरादून । अब उत्तराखंड के बॉर्डर पर लोगों को अपनी कोरोना रिपोर्ट दिखाने का दबाव नहीं होगा । राज्य के बॉर्डर पर इस मुद्दे को लेकर हो रहे विरोध के मद्देनजर आखिरकार उत्तराखंड सरकार ने कदम पीछे खींच लिए हैं। अब बाहरी राज्यों से उत्तराखंड में आने वाले सभी लोगों के लिए बॉर्डर पर कोरोना की जांच जरूरी नहीं होगी। अब सिर्फ पर्यटन, फिल्म शूटिंग जैसी गतिविधियों वालों को ही नेगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी।
राज्य के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने गुरुवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि यहां आने वाली गर्भवती महिलाओं, 10 साल से कम उम्र के बच्चे, बुजुर्ग कारोबारियों, बिजनेसमैन, वीआईपी, अधिकारियों एवं न्यायाधीशों को बॉर्डर पर जांच कराने की जरूरत नहीं है। घर पर किसी की मौत, बीमार होने, किसी काम से बाहर जाने के बाद वापस घर लौटने, परिजनों की देखभाल के लिए आने वाले लोगों के लिए बॉर्डर पर जांच अनिवार्य नहीं है।
वहीं प्रदेश के सीएम ने हाल में अपने एक बयान में कहा कि दूसरों राज्यों से उत्तराखंड आने वाले लोग जो तीन-चार दिनों के लिए आ रहे हैं, उनके लिए कोविड-19 टेस्ट की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जारी गाइडलाइल्स का पालन करना अनियवार्य होगा।
विदित हो कि दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों के बॉर्डर पर पेड कोरोना टेस्ट के मामले में गुरुवार को लोगों के विरोध के बाद प्रशासन को बैकफुट पर आना पड़ा। बाहर से आने वाले लोगों का पेड कोरोना टेस्ट शुरू होने के बाद लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। लोगों का कहना था कि वे 2400 रुपये में टेस्ट कैसे कराएंगे। लोगों ने टेस्ट के पैसे देने से मना किया तो दोपहर करीब साढ़े बारह बजे प्रशासन दोबारा फ्री वाला एंटीजन टेस्ट शुरू कर दिया।