देहरादून । वर्ष 1994 के रामपुर तिराहा कांड मामले में इलाहबाद हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को इस कांड से जुड़े मामलों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तु करने के आदेश दिए हैं। इलाहबाद हाईकोर्ट ने यह आदेश देहरादून निवासी रविंद्र जुगरान द्वारा कांड के 24 साल बाद भी इंसाफ नहीं मिलने संबंधि याचिका के संबंध में दिया है। इस याचिका पर कोर्ट में अगली सुनवाई 25 जनवरी है। जुगरान ने अपनी याचिका में रामपुर तिराहा कांड के चार मुकदमों को समयावधि में निस्तारित करने की मांग की गई है।
बता दें कि 1 अक्टूबर 1994 को अपने लिए अलग राज्य की मांग करते हुए तत्कालीन यूपी के पहाड़ी जिलों के निवासियों पर यूपी पुलिस ने रामपुर तिराहे पर लाठीचार्ज के साथ फायरिंग की थी। ये लोग प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से संगठित होकर दिल्ली जा रहे थे। इस गोलीकांड में 7 लोगों की मौत हो गई थी जबकि कई लोग जख्मी हुए थे। एकाएक पुलिस के लाठीचार्ज और फायरिंग के बचने के लिए जंगलों की ओर भागी महिलाओं का शारीरिक शोषण भी किया गया था।
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उत्तराखंड राज्य गठन के बाद इस मामले में पीड़ित परिवारों को न्याय दिलवाने में न तो भाजपा और न ही कांग्रेस की सरकारों ने दिलचस्पी दिखाई न ही सीबीआई द्वारा कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद कोई ठोस फैसला आया। इनमें से 3 मुकदमों की फाइल तब बंद हो गई , जिसमें आरोपी पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी। अब जो मुकदमे बचे हैं, उनमें कमजोर पैरोकारी का पूरा फायदा आरोपियों को मिल रहा है।
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इस मामले को लेकर देहरादून के रविंद्र जुगरान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में रामपुर तिराहा कांड के चार मुकदमों को समयावधि में निस्तारित करने की मांग की गई है।
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