Wednesday, April 24, 2024

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उत्तराखंड में 'नेचुरल हाउस' देंगे भूकंप में सुरक्षा , लोगों को दिया जा रहा ऐसे भवन निर्माण का प्रशिक्षण 

अंग्वाल न्यूज डेस्क
उत्तराखंड में

नैनीताल । पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा के बाद जहां लोगों को भूकंप का डर सताता रहता है , वहीं मानसून के मौसम में भी जानमाल के नुकसान का डर बना रहता है । ऐसे में पहाड़ों के मकानों के निर्माण को लेकर नई बहस छिड़ गई है । ऐसे मकानों को बनाए जाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है , ताकि भूकंप की स्थिति में ज्यादा जानमाल का नुकसान न हो । इसी क्रम में इन दिनों नैनीताल जिले में मिट्टी से बने ऐसे ही घरों को बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन्हें नेचुरल हॉउस कहा जाता है । पहाड़ों में पहले मिट्टी,पत्थर और लकड़ी से घर बनाए जाते रहे हैं लेकिन अब पहाड़ों पर भी ईट सीमेंट से बने मकानों का चलन तेज हो गया है , जो ऐसी किसी भी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में उसमें रहने वालों के लिए असुरक्षित भी हैं । 1991 में उत्तरकाशी भूकंप में ऐसे घरों में भारी तबाही हुई थी । उस दौरान मिट्टी और पत्थरों के घर सुरक्षित रहे , जबकि सीमेंट और सरिया से बने मजबूत ध्वस्त हो गए थे । 

पूर्व के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए नैनीताल जिले के मेहरोड़ा गांव में गीली मिट्टी फार्म में मिट्टी के घरों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है । प्रशिक्षण दे रही नूतन सिंह ने बताया कि सीमेंट से बने घर शरीर को नुकसान पहुंचाते है । साथ ही वह बताती हैं कि दुनिया में अर्थ बैग, कॉब, एडोनी, टिम्बर फ्रेम और लिविंग रूफ तकनीक से घर बनाये जाते है । 


नूतन का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार भी मिट्टी पत्थर से बने घरों को बनाने की बात कह रही हैं , लेकिन, ये घर कैसे बनेंगे ये कोई नही जानता । ऐसे में  मेहरोड़ा गांव में मिट्टी के घरों को बनाने की कला सीखने के लिए कई प्रशिक्षु पहुंच रहे हैं । 

स्थानीय युवा भी इस तकनीक से घर बनाना सीख रहे हैं. साथ ही कई देशों से भी घर बनाने का प्रशिक्षण लेने के लिए लोग पहुंच रहे है । विदित हो कि इस समय दुनिया में सबसे खतरनाक दैवीय आपदा भूकंप को ही कहा जा रहा है । भूकंप की तबाही को देखते हुए इन दिनों दुनिया के कई देशों में ऐसे घरों को बनाने की कवायद तेज हो रही है , जो  भूकंप में भी सुरक्षित रहे । हालांकि उत्तराखंड के पहाड़ों में अपने पारंपरिक भवन निर्माण की कला को छोड़ते हुए नए लेंटर वाले मकान बनाने का चलन शुरू हो गया है । दूर दराज के गांवों में भी अब पक्के मकान ज्यादा देखे जा रहे हैं । जो राज्य की भौगोलिक स्थिति के मद्देनजर उतने सुरक्षित नहीं हैं जितने मिट्टी पत्थर वाले मकान । बहरहाल, ऐसे में एक बार फिर से पारंपरिक मिट्टी पत्थऱ वाले मकानों को बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है

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