देहरादून । भारतीय जनता पार्टी ने रविवार देर रात अपनी सरकार के मंत्री रहे हरक सिंह रावत को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है । आरोप लगे हैं कि वह पार्टी पर अपने लिए , अपनी पुत्रवधु और एक समरथक के लिए तीन टिकट देने का दबाव बना रहे थे । लेकिन पार्टी रावत के आगे नहीं झुकी और उलटा उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर पार्टी से भी छह साल के लिए निलंबित कर दिया है । इससे पहले भी दिसंबर महीने में हरक सिंह रावत कैबिनेट से उठकर कर चले गए थे और इस्तीफ़े की धमकी दी थी ।
विदित हो कि पिछले महीने कैबिनेट से इस्तीफा देने की धमकियों के बाद हरक सिंह रावत पार्टी पर लगातार दबाव की राजनीति कर रहे थे । हालांकि राज्य सरकार ने उनकी मांग मानते हुए कोटद्वार में एक मेडिकल कॉलेज को मंज़ूरी दे दी थी लेकिन इस बार हरक सिंह रावत की मांग और ज़्यादा बढ़ गई । उन्होंने अपने अलावा दो अन्य टिकटों की मांग की थी । इसमें एक अपनी पुत्रवधु के लिए तो एक अपने समर्थक के लिए । लेकिन पार्टी ने मांगे मानने की बजाय उन्हें पहले मंत्रीमंडल से बर्खास्त किया और फिर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छः साल के लिए निलंबित कर दिया ।
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रावत ने मंत्री पद से या भाजपा से इस्तीफ़ा नहीं दिया था केवल नाराज़गी जाहिर की थी, और वह कैबिनेट की बैठक से स्वास्थ्य मंत्री से अपनी विधानसभा कोटद्वार में एक मेडिकल कॉलेज खोले जाने की बहस के बाद कैबिनेट की बैठक बीच में ही छोड़ कर चले गए थे ।
बहरहाल , अब खबर है कि वह कांग्रेसी नेताओं के संपर्क में हैं और आज शाम या आने वाले एक दो दिन में कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं । हरक सिंह रावत पांच साल पहले कांग्रेस से बाग़ी होकर बीजेपी में आए थे, वैसे हरक सिंह रावत का राजनीतिक दल बदलने का इतिहास काफ़ी पुराना है ।