टिहरी बांध परियोजना ... भारत की नदी घाटी परियोजनाओं में सबसे अहम।उत्तराखण्ड के टिहरी ज़िले में बना यह बांध एशिया का सबसे बड़ा और विश्व कापांचवां सबसे ऊंचा बांध है। भागीरथीनदी पर बने लगभग 261 मीटर की ऊंचाई वाले इस डैम से 2400 मेगा वाट बिजली उत्पादन, 2,70,000 हेक्टर क्षेत्र की सिंचाई और हर दिन 102.20 करोड़ लीटर पानी उत्तराखंडसमेत दिल्ली, उत्तर प्रदेश को मिल सकेगा। हालांकि परियोजना को सफल बनाने के लिए राज्यऔर केंद्र सरकार की ओर से करोड़ों रू. खर्च किए जा रहे हैं। बावजूद डेम परियोजनाको अपने-अपने चश्मे से देक रहे हैं। दरअसल, यह परियोजनाहिमालय के केंद्रीय क्षेत्र में स्थित है। यहां आस-पास 6.8 से 8.5 तीव्रता केभूकंप आने का खतरा है , ऐसा होने पर बांध के टूटने के कारणऋषिकेश, हरिद्वार, बिजनौर, मेरठ और बुलंदशहर जैसेबड़े शहर जलमग्न हो जाएंगे। शायद यही वजह है कि सुंदरलाल बहुगुणा जैसे कईपर्यावरणविदों ने इस परियोजना का का विरोध किया है। हालांकि इस परियोजना कासकारात्मक रूप देखा जाए,तो 2050 तक देश में थर्मल बिजली खत्महो जाएगी, कोयला खत्म हो जाएगा, तब बसपानी से बिजली पैदा होगी। जिससे उत्तारखंड को भी एक बड़ा फायदा मिलेगा, क्योंकि उत्तराखण्ड जो बिजली उत्पादन करता है उसका करीब 12 प्रतिशत हिस्साही उसे मिलता है, बाकी बिजली या तो केन्द्र को दी जाती है याएजेंसी/ठेकेदार को जाती है। बहरहाल, इस बात में कड़वी सच्चाईहै कि जब बड़े बांध बनेंगे, तो आसपास बसे इलाकों में कुछसमस्याएं होती हैं,खैर उम्मीद करते हैं कि टिहरी बांधपरियोजना इन तमाम सवालों को पिछे छोड़ लोगों को बिजली और पेयजल की सुविधा उपलब्धकरायेगा।