नई दिल्ली। फर्जी बोर्ड बनाकर लाखों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। देर रात अपराध शाखा ने 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि ये तीनों उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं और इनके नाम बलरामपुर के अल्ताफ राजा, देवरिया के शंभुनाथ मिश्रा और मनोज कुमार के रूप में हुई है। खबरों के अनुसार मनोज देवरिया में एक स्कूल का संचालक है। पुलिस ने इन आरोपियों के पास से बड़ी मात्रा में फर्जी मार्कशीट, मार्कशीट कम सर्टिफिकेट, प्रोविजनल सर्टिफिकेट, माइग्रेशन सर्टिफिकेट, बोर्ड की उत्तर पुस्तिकाएं, प्रश्न पत्र और छात्रों का रिकॉर्ड बरामद किया है।
गौरतलब है कि यह फर्जी बोर्ड 10वीं और 12वीं की मार्कशीट और सर्टिफिकेट देने के अलावा देश के विभिन्न स्कूलों को मान्यता भी देता था। खबरों के अनुसार यह नकली बोर्ड छात्रों को 5 से 10 हजार रुपये में 10वीं और 12वीं पास कराने का झांसा देता था। गिरोह ने दिल्ली के विकासपुरी में अपना दफ्तर भी बना रखा था। पुलिस ने फर्जी ग्राहक भेजकर सौदा कराया और अल्ताफ राजा को रंगे हाथ दबोच लिया।
यहां बता दें कि अल्ताफ से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने देवरिया से शंभूनाथ और मनोज कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने बताया कि शंभूनाथ और मनोज ने अल्ताफ के बोर्ड से मान्यता ले रखी थी। अपने यहां आने वाले छात्रों को काफी कम समय में बोर्ड से मार्कशीट व सर्टिफिकेट उपलब्ध करा देते थे। व्हाट्सएप पर छात्रों की जानकारी लेने के बाद अल्ताफ पैसे अपने खाते में मंगवा लेता था। फैजाबाद में भी फर्जी बोर्ड की शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने शिव प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया था जो फिलहाल जेल में बंद है।
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आपको बता दें कि पूछताछ के दौरान अल्ताफ ने बताया कि 2014 में पढ़ाई छोड़कर उसने शिव प्रसाद पांडे नामक शख्स के साथ काम करना शुरू किया था। शिव प्रसाद ने बोर्ड ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन (बीएचएसई) नाम से फर्जी बोर्ड बनाया और खुद को इसका चेयरमैन बताता था। एक अन्य आरोपी अशोक कुमार खुद को बोर्ड का सचिव बताता था। इन्होंने बोर्ड की 23 फर्जी वेबसाइट भी बना रखी थीं। पुलिस की पूछताछ में अल्ताफ ने बताया कि गिरोह ने फर्जी वेबसाइट के जरिए दर्जनों स्कूलों को मान्यता दे रखी थी। बोर्ड की परीक्षा के लिए प्रशपपत्र और उत्तरपुस्तिका तक छपवा रखी थी। अगर कोई संस्थान इनको पत्र लिखकर इनके बोर्ड द्वारा दिए गए कागजों के बारे में पूछता तो ये उन्हें सही बताकर ऑनलाइन ही वेरीफिकेशन कर देते थे।