देहरादून। गंगा के उद्गम स्थल गोमुख के पास पिछले साल बनी झील का वजूद बिल्कुल खत्म हो चुका है इसके बावजूद प्रदेशवासियों के लिए खतरा कम नहीं हुआ है। इस बात का खुलासा गंगोत्री का दौरा कर वापस लौटे वाडिया शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि फिलहाल झील का अस्तित्व तो खत्म हो गया है लेकिन वहां मौजूद मलबा परेशानी का सबब बनी हुई है। वाडिया संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि इसकी जानकारी जल्द ही राज्य सरकार और केन्द्र सरकार को भेजी जाएगी।
गौरतलब है कि गोमुख में पिछले साल एक ग्लेशियर के टूटने की वजह से बड़ी झील का निर्माण हो गया था। समय के बदलाव के साथ ही अब ग्लेशियर पूरी तरह से सूख गया है लेकिन उसका मलबा नई परेशानी खड़ी कर रहा है। वैज्ञानिकों ने बताया कि ग्लेशियर का मलबा कई किलोमीटर में फैला है और उसके कच्चा होने की वजह से बारिश के दौरान उसके नीचे खिसकने की संभावना बढ़ गई है।
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यहां बता दें कि ग्लेशियर के टुकड़ों में बड़ी मात्रा में बोल्डर और पत्थर के टुकड़े शामिल हैं ऐसे मंे बारिश के दौरान उसके नीचे गिरने से काफी नुकसान हो सकता है। वाडिया संस्थान के वैज्ञानिकांे ने बताया कि इसकी जानकारी राज्य और केन्द्र सरकार को जल्द ही दी जाएगी ताकि मलबे को नीचे आने से रोकने के उपाय किए जा सकें।