देहरादून। राज्य के शिक्षा विभाग में एक बड़े गड़बड़झाले का खुलासा हुआ है। इसमें बिना नियुक्ति प्रक्रिया का पालन किए ही हजारों शिक्षकों को सरकारी मानदेय के दायरे में लाने की तैयारी की जा रही है। यहां बता दें कि अशासकीय विद्यालयों में इस तरह से शिक्षकों की नियुक्ति की शिकायत मिलने पर स्कूली शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने इस नियुक्ति प्रक्रिया रद्द कर दिया था। बिना नियुक्ति प्रक्रिया के इन शिक्षकों को सरकारी मानदेय के दायरे में लाने से इनकी स्थाई नौकरी का रास्ता साफ हो जाएगा।
गौरतलब है कि राज्य के स्कूलों में शिक्षकांे की काफी कमी है इस बात को सरकार भी मान चुकी है। हाईकोर्ट की ओर से भी स्कूली शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने के लिए अस्थाई तौर पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति करने के आदेश दिए थे लेकिन इसके लिए अभी तक शासन की ओर से आदेश भी जारी नहीं किए गए हैं। शिक्षा मंत्री ने कोर्ट के आदेश पर 2 सप्ताह के अंदर इसे लागू करने की बात कही थी।
यहां बता दें कि राज्य के हजारों बेरोजगार नौजवान, प्रतियोगी परीक्षाओं के जरिए नौकरी पाने की तलाश में जुटे हैं वहीं बिना किसी नियुक्ति प्रक्रिया के बैकडोर से आए शिक्षकों को अब सरकारी मानदेय के दायरे में लाने की तैयारी की जा रही है। सरकारी मानदेय के दायरे में आ जाने से इन शिक्षकों के स्थाई होने का रास्ता साफ हो जाएगा।
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गौर करने वाली बात है कि राज्य के सैकड़ों अशासकीय स्कूलों करीब 600 शिक्षकों को बिना किसी नियुक्ति प्रक्रिया के भर्ती कर लिया गया है। बताया जा रहा है कि कई बार पद खाली होने पर शिक्षक और अभिभावक संघ (पीटीए) भी व्यवस्था के तौर पर कुछ शिक्षकों की तैनाती करते हैं। शुरूआत में इन शिक्षकों को प्रबंधन अपने संसाधनों या छात्रों से जुटाकर मानदेय देता है। इन शिक्षकों की नियुक्ति के लिए न तो कोई विज्ञापन (विज्ञप्ति) जारी किया जाता है और न प्रक्रिया होती है। प्रबंधन अपने चहेते शिक्षक को रिक्त पद पर व्यवस्था के तौर पर समायोजित कर लेता है। धीरे-धीरे इन शिक्षकों को राजकीय मानदेय (10 हजार रुपये) पर समायोजित कर लिया जाता है। इसके बाद इन्हें तदर्थ नियुक्ति दे दी जाती है। कुछ समय बाद इन शिक्षकों को स्थाई कर दिया जाता है। इस तरह बिना नियुक्ति प्रक्रिया के शिक्षक को बैकडोर से पक्की नौकरी मिल जाती है।
गौरतलब है कि इस तरह से शिक्षकों की भर्ती की शिकायत मिलने पर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने नियुक्ति प्रक्रिया रद्द करने के साथ ही उस साल हुई सभी नियुक्तियों को निरस्त कर दिया था। ज्यादातर विद्यालयों में प्रबंधन ने पात्र शिक्षकों को दरकिनार कर चहेतों को नियुक्ति दी थी। यहां गौर करने वाली बात है कि प्रदेश में यह कोई पहला मामला नहीं है, इसमें अधिकारियों और मंत्रियों की सांठगांठ की बात भी सामने आई है।