देहरादून। आज पूरी दुनिया में हरियाली एक बड़ी समस्या बनी हुई है लेकिन देवभूमि उत्तराखंड इस बात को लेकर शुरू से ही काफी संवेदनशील है। प्रकृति को और स्वस्थ बनाने के लिए यहां कई तरह के पर्व मनाए जाते हैं। हरेला पर्व भी इन्हीं में से एक है। यह त्योहार संपन्नता, हरियाली, पशुपालन और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। रविवार को इसकी शुरुआत प्रदेश के मशहूर लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने एक माह तक चलने वाले हरेला महोत्सव का शुभारंभ गांधी पार्क में पौधा लगाकर की। लोकगायक नरेन्द्र नेगी ने कहा कि हरेला लोकपर्व से आज पर्यावरण पर्व बन चुका है। इस मौके पर लोककला केंद्र के कलाकारों ने थड़िया, चौफला और झुमेला नृत्य से लोगों का मन मोह लिया।
गौरतलब है कि हरेला पर्व की शुरुआत करते हुए नरेन्द्र नेगी ने लोगों से ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने की अपील की है। हरेला की शुभारंभ के मौके पर लोक कलाकारों के द्वारा रंगारंग कार्यक्रम भी पेश किया गया। कलाकारों ने प्रदेश की थड़िया, चौफला और झुमेला का बेहतरीन प्रदर्शन कर लोगों का खूब मनोरंजन किया। इस अवसर पर गति फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने कहा कि हर साल पौधे लगाने के साथ उनकी प्रगति रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने पर्यावरण के सबसे बड़े दुश्मन प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करने की अपील की।
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कार्यक्रम के दौरान अखिलेश दास, प्रमोद और हरीश दास के ढोल-दमाऊं और मशकबीन की धुन ने रंग जमा दिया। वहीं, लोककला केंद्र की रीता भंडारी, बिमला नेगी, मधु कैंतुरा, गरिमा ठाकुरी, बीना चमोली, मीनू चमोली, दीपांजलि कोठारी, सोनम धस्माना ने ‘रामो-रामो डाली ना काटा’ गीत गाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। पूनम नैथानी, नीलिमा धूलिया, सोनिया, कुसुम ने पौधरोपण का लोकगीत ई बांज बुरांश ईं कुलें की डाली... प्रस्तुत किया। हरेला के मौके पर लोक कलाकारों की स्वास्थ्य और उनकी अनदेखी पर भी चिंता जताई गई। धाद संस्था के उपाध्यक्ष डीसी नौटियाल ने सरकार से इनके लिए स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की है।