Wednesday, May 8, 2024

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राज्य की विलुप्त होती परंपराओं का होगा संरक्षण, स्प्रिट आॅफ उत्तराखंड के जरिए मिलेगा मंच

अंग्वाल न्यूज डेस्क
राज्य की विलुप्त होती परंपराओं का होगा संरक्षण, स्प्रिट आॅफ उत्तराखंड के जरिए मिलेगा मंच

देहरादून। दूसरे राज्यों की तरह उत्तराखंड की संस्कृति, लोककलाओं और परंपराओं को सहेजने की कवायद तेज कर दी गई है। इसके तहत सरकार पंडित दीन दयाल उपाध्याय आवासीय प्रशिक्षण केन्द्रों में न सिर्फ लोगों को ट्रेनिंग देगी बल्कि उनके उनको एक रिकाॅर्ड के रूप में भी सहेज कर रखा जाएगा। इसके लिए ‘स्प्रिट आॅफ उत्तराखंड’ के तहत प्रदर्शनी लगाई जाएगी जिसमें यहां की लोककलाओं की झलक देश-विदेश में देखने को मिलेगी।

विलुप्त होती परंपराएं

गौरतलब है कि राज्य की संस्कृति काफी पुरानी और संपन्न है। देहरादून और हरिद्वार में प्रस्तावित पंडित दीनदयाल उपाध्याय आवासीय प्रशिक्षण केंद्रों में न सिर्फ राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षण मिलेगा और इसका रिकाॅर्ड भी रखा जाएगा। बता दें कि पहले यहां की पहाड़ी संस्कृति, लोककलाओं और परंपराओं की धूम पूरे देश में थी। ढोल-दमऊ जैसे लोकजीवन से गहरे तक जुड़े पारंपरिक वाद्ययंत्र सिमटे हैं तो अब इनके वादकों की संख्या भी उंगलियों पर गिनने लायक रह गई है। कुछ ऐसा ही हाल यहां के पारंपरिक नृत्यों का भी है। लोककलाओं को रोजगार से न जोड़ना भी परंपराओं के विलुप्त होने की बड़ी वजह है। अब राज्य सरकार के द्वारा इसके संरक्षण के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार की तरफ से ‘स्प्रिट आॅफ उत्तराखंड’ के तहत लोककलाओं और हस्तशिल्प की प्रदर्शनी लगाई जाएगी जिसमें न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में इसकी झलक दिखाई जाएगी।

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लोककलाओं को रोजगार परक बनाया जाएगा

आपको बता दें कि पूर्वोत्तर राज्य के सरकारों की तरह अब उत्तराखंड सरकार ने भी यहां की संस्कृति को संरक्षण देने की कोशिशें तेज कर दी है। बता दें कि पूर्वोतर में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के साथ मिलकर राज्य सरकारों की पहल ने वहां की सांस्कृतिक विरासत को न सिर्फ जीवंत रखा है, बल्कि वे देश-दुनिया में इसका प्रदर्शन भी करते हैं। इस कड़ी में लोक परंपरा, कला, संस्कृति और इसके संवाहकों को संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से राज्य सरकार देहरादून और हल्द्वानी में आवासीय प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने को भूमि तलाश रही है। राज्य के समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि लोककलाओं के संरक्षण के लिए उन्हें रोजगार से जोड़ना काफी जरूरी है। ऐसे में यह आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र काफी महत्त्वपूर्ण साबित होगा।

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