देहरादून। उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल के दौरान गुपचुप तरीके के किए गए करीब 400 शिक्षकों के तबादले को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है और इन सभी शिक्षकों को 31 मई 2018 तक अपने मूल स्थानों पर कार्यभार संभालने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि कांग्रेस के शासनकाल में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को मूल तैनाती स्थलों के बजाय अन्य संवर्ग में संबद्धता दी गई थी। भाजपा सरकार ने 24 जुलाई, 2017 को आदेश जारी उक्त व्यवस्था को अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया था।
गौरतलब है कि पिछली सरकार के शासनकाल में बड़ी संख्या में शिक्षकों ने राजनीतिक सिफारिशों से स्कूलों में पढ़ाने के बजाय दूसरे संवर्ग में डेपुटेशन ले लिया। ऐसे में पहले से शिक्षकों की कमी झेल रहे प्रदेश को और ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ा। नया तबादला एक्ट लागू होने के बाद राज्य सरकार को इन शिक्षकों को विभागों में रखने पर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
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यहां बता दें कि अब सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए ऐसे करीब 400 शिक्षकों के तबादले को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है और इन सभी शिक्षकों को 31 मई 2018 तक अपने मूल स्थानों पर जाकर कार्यभार संभालने के निर्देश दिए हैं। गौर करने वाली बात है कि नए तबादला एक्ट में शिक्षकों के उनके मूल स्थानों पर ही बने रहने का प्रावधान किया गया है। राज्य के पर्वतीय जिलों के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के कारण शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट के चलते सरकार ने डेपुटेशन की व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से निरस्त के आदेश जारी किए हैं। प्रदेश के विभिन्न स्कूलों से करीब 400 शिक्षक ऐसे हैं, जो डेपुटेशन पर दूसरे संवर्ग में सेवाएं दे रहे हैं।