देहरादून। गर्मी में बढ़ता पारा आपकी जेब पर भी असर डाल सकता है। जी हां, प्रदेश सरकार ने बिजली की दर बढ़ाने का फैसला लिया है। कैबिनेट की बैठक के बाद जल विद्युत परियोजनाओं से मिलने वाली बिजली पर सेस और राॅयल्टी की दर को 80 पैसे से बढ़ाकर 2 रुपये प्रतियूनिट करने का फैसला लिया गया है। इस संबंध में शासनादेश (जीओ) जल्द ही जारी कर दिया जाएगा। आपको बता दें कि नोटिफाइड विद्युत दर की सीमा को बढ़ाने से यूपीसीएल द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली बिजली कीमतों में 17 पैसे प्रति यूनिट वृद्धि होने की संभावना जताई जा रही है।
गुपचुप तरीके लाया गया प्रस्ताव
गौरतलब है कि राज्य में नोटिफाइड विद्युत दर की सीमा को बढ़ाने की तैयारी काफी समय से चल रही है। यहां जान लें कि उत्तराखंड जल विद्युत निगम (यूजेवीएनएल) की ओर से इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। जनता बिजली की दरों को लेकर बवाल न मचाए इस वजह से प्रस्ताव को गोपनीय तरीके से कैबिनेट की बैठक में लाया गया।
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जल्द जारी होगा शासनसदेश
बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए कैबिनेट ने सचिव समिति गठित करने का सुझाव दिया था। सचिव समिति ने इस प्रस्ताव को सहमति दे दी, जिसके बाद वित्त और विधायी विभाग से भी इसकी मंजूरी ली गई। अब शासन ने भी इस प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी दे दी है। बता दें कि प्रभारी सचिव ऊर्जा राधिका झा ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में शासनादेश जल्द ही जारी किया जा सकता है।
नई परियोजना के लिए पैसा जरूरी
गौरतलब है कि बिजली की दर बढ़ाने वाले प्रस्ताव को मंजूरी मिलने से यूजेवीएनएल द्वारा यूपीसीएल को दी जाने वाली बिजली की औसत कीमत 1.72 रुपये प्रति यूनिट से बढ़कर 2.01 रुपये प्रति यूनिट हो जाएगी। उपभोक्ताओं पर इसका भार 17 पैसे प्रति यूनिट के रूप में पड़ेगा। यहां बता दें कि उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) की व्यासी, लखवाड़ और किसाऊ जल विद्युत परियोजनाओं को शुरू करने के लिए करीब 300 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। आपको बता दें कि पावर डेवलपमेंट फंड एक्ट-2003 में यह व्यवस्था की गई है कि राज्य में निर्मित जल विद्युत परियोजनाएं जो पिछले दस सालों या उससे अधिक समय से बिजली उत्पादन कर रही हैं उन पर सेस लगाया जा सकता है।