देहरादून। उत्तराखंड सरकार राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने की हर मुमकिन कोशिश कर रही है। बिजली की कमी की वजह से छात्रों और शिक्षकों को परेशानी से राहत देते हुए मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने अब एक बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के तहत अब राज्य के करीब 22 हजार सरकारी स्कूलों से व्यावसायिक दर के बजाय घरेलू दर पर बिजली बिल की वसूली की जाएगी। बता दें कि स्कूलों के भारी-भरकम बिल के जमा नहीं होने की वजह से फिलहाल कई स्कूलों के कनेक्शन काट दिए गए हैं। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने स्कूलों में सोलर पैनल लगाने का सुझाव दिया है।
गौरतलब है कि सरकार राज्य के तकरीबन 22 हजार सरकारी विद्यालयों और उनमें अध्ययनरत लाखों छात्र-छात्राओं को बड़ी देने जा रही है। बिजली की कमी के चलते अब इन स्कूलों के छात्रों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के साथ बात करने के बाद स्कूलों से व्यावसायिक दरों पर बिजली बिल वसूलने के बजाय घरेलू दर पर बिजली बिल वसूलने का निर्णय लिया है। साथ ही स्कूलों में 1 केवी से लेकर 5 केवी तक के सोलर पैनल लगाने के निर्देश दिए हैं ताकि स्कूलों को भारी-भरकम बिल से राहत मिल सके।
ये भी पढ़ें - उत्तराखंड के लोगों को कुदरत का ‘दोहरा झटका’, अब भूकंप के झटके ने फैलाई दहशत
यहां बता दें कि राज्य के हजारों सरकारी स्कूलों में बिजली के कनेक्शन इस वजह से काट दिए गए हैं क्योंकि इनका बिल जमा नहीं हुआ। सरकार के निर्देश के बाद अब शिक्षा विभाग की ओर से प्रस्ताव तैयार उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को भेजा जाएगा क्योंकि विद्युत टैरिफ पर निर्णय लेने का अधिकार आयोग को ही है। अपर सचिव ने बताया कि प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा निदेशालयों को विद्यालयवार, संकुलवार, विकासखंडवार व जिलेवार विद्युत विहीन विद्यालयों और बिजली कनेक्शन कटे विद्यालयों को ब्योरा मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं। विद्युत नियामक आयोग ने प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालय भवनों व शिक्षा विभाग के कार्यालयों की छत पर एक केवी से लेकर दस केवी तक सोलर पैनल लगाने का प्रस्ताव शिक्षा महकमे को दिया है। राज्य के शिक्षा महानिदेशक आलोक तिवारी ने बताया कि मिड डे मील के भी सोलर कूकर उपलब्ध कराने पर विचार किया जा रहा है।