नैनीताल। राज्य की खस्ताहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने तीन महीने के अंदर 837 विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने सरकार को राज्य के दूरस्थ इलाकों में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के निर्देश भी दिए हैं। कोर्ट की सख्ती के बाद लोगों में एक बार फिर राज्य में स्वास्थ्य सेवा बेहतर होने की उम्मीद जगी है। बता दें कि कोर्ट ने नागरिक मंच बागेश्वर में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दायर याचिका पर अहम फैसला दिया है।
मरीजों की परेशानी
गौरतलब है कि अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य के दूर-दराज इलाकों में स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से बदहाल है ऐसे में 6 सप्ताह के अंदर मेडिकल सलेक्शन बोर्ड की तरफ से विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति के लिए पूरे प्रयास किए जाएं। कोर्ट ने कहा कि दूरस्थ इलाकों में स्वास्थ्य केन्द्र होने के बावजूद वहां डाॅक्टर नहीं हैं जिसकी वजह से लोगों को इलाज के लिए कई किलोमीटर का सफर तय कर मैदानी इलाकों में आना पड़ता है। गंभीर रोगी तो कई बार शहर के मुख्य अस्पतालों में पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। सबसे बड़ी समस्या गर्भवती महिला को आती है, अगर सरकार की तरफ से डॉक्टरों की कमी को दूर कर दी जाती है तो लोगों को अस्पतालों की बदहाली से मुक्ति मिल जाएगी।
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सरकार को सख्त निर्देश
आपको बता दें कि राज्य के दूरस्थ इलाके में स्वास्थ्य व्यवस्था की खस्ताहालत को लेकर नागरिक मंच बागेश्वर की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि इलाके में ट्राॅमा सेंटर व ब्लड बैंक नहीं होने से हजारों की आबादी को स्वास्थ्य सेवाओं से महरूम रहना पड़ रहा है। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई पूरी करते हुए ट्रामा सेंटर तथा ब्लड बैंक में तैनात विशेषज्ञ चिकित्सक व अन्य स्टाफ का न्यूनतम सेवा अवधि पूरा किए बिना तबादला नहीं किए जाने के सख्त आदेश भी दिए हैं। कोर्ट ने इस संबंध में अन्य दिशा-निर्देश भी राज्य सरकार को जारी किए हैं।