देहरादून। उत्तराखंड में सरकार नई आबकारी नीति बनाने की तैयारी में है। इस नीति में सरकार शराब की दुकानों की संख्या में कटौती कर सकती है। यहां बता दें कि राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों से शराब की दुकानें पांच सौ मीटर दूर करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आबादी क्षेत्र में दुकानों की शिफ्टिंग के राज्यभर में इसका काफी विरोध किया गया था। शराब की दुकानों को राजमार्ग से हटाकर रिहाइशी इलाकों में खोले जाने का महिलाओं ने काफी विरोध किया। उन्होंने तो कई दुकानों से शराब की पेटियां निकाल कर सड़कों पर फेंक दिया और दुकानों में आग भी लगा दी थी।
कम होगी शराब की दुकानें
गौरतलब है कि उत्तराखंड में हाईकोर्ट पहले ही चारधाम यात्रा वाले जिलों में शराब की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के 500 मीटर के दायरे में शराब की कोई दुकान न होने के आदेश दिए। प्रदेश में जनता के विरोध को देखते हुए सरकार ने नई आबकारी नीति में शराब की दुकानों में कटौती करने का प्रावधान किया है। यहां बता दें कि पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले एक-तिहाई दुकानें कम किए जाने की संभावना है। शराब की दुकानों से सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व की प्राप्ति होती है। ऐसे में सरकार अब इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने जा रही है।
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सरकार की कोशिशें नाकाम
आपको बता दें कि उत्तराखंड में गुजरे वित्तीय वर्ष में शराब की कुल 526 दुकानें खोली गई। इनमें से 402 दुकानें ऐसी हैं जो या तो राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्थित हैं या राज्य राजमार्गांे पर। यहां गौर करने वाली बात है कि राजमार्गों पर स्थित शराब की दुकानों से सरकार को लगभग 80 फीसद राजस्व की प्राप्ति होती है। प्रदेश सरकार ने स्टेट हाईवे को जिला मार्ग घोषित कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के दायरे में आने से बचने की कोशिश की लेकिन इसका ज्यादा फायदा नहीं हुआ। ऐसा कर सिर्फ 35 दुकानों को ही शिफ्ट करने से बचाया जा सका।