देहरादून। राज्य का शिक्षा विभाग अपने फैसलों को वापस लेने के लिए जाना जाने लगा है। केंद्र के दखल के बाद विभाग ने नए शिक्षा सत्र से सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें मुहैया कराने के लिए पुस्तकों की छपाई वाले टेंडर को निरस्त कर दिया है। अब विभाग का कहना है कि छात्रों को निजी प्रकाशकों की पुस्तकों को बाजार से ही खरीदना पड़ेगा और इसकी कीमत छात्रों के खाते में जमा कर दिए जाएंगे। इसके लिए छात्रों को अपना खाता आधार से लिंक कराना होगा। बता दें कि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने पहले कहा था कि एनसीईआरटी की किताबें स्कूलों में ही मुहैया कराई जाएंगी।
गौरतलब है कि राज्य सरकार पहली से लेकर 8वीं तक के सभी छात्रों के साथ ही एससी-एसटी वर्ग के छात्रों को 12वीं कक्षा तक निःशुल्क पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराती है। सत्र 2018-19 से उत्तराखंड में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू होने जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से पहले खुद की पुस्तकों का प्रकाशन और बांटने का निर्णय लिया गया था लेकिन इस बीच केंद्र सरकार ने राज्य को खुद पुस्तक छपवाने के बजाए छात्रों को इसकी लागत खाते में उपलब्ध कराने को कहा है ताकि छात्र खुले बाजार से पुस्तकें खरीद सकंे।
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यहां बता दें कि केन्द्र के निर्देश के बाद शिक्षा महानिदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने पुस्तक छपाई का टेंडर निरस्त करने के आदेश दिए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि खुले बाजार में पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए प्राईवेट प्रकाशकों से टेंडर मंगाए जाएं। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि खुले बाजार में किताबों का मूल्य किसी स्थिति में एनसीईआरटी द्वारा तय मूल्य से अधिक ना हो। तिवारी ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए कि छात्रों के खाते शत प्रतिशत आधार से लिंक कराना सुनिश्चित किया जाए।