देहरादून। राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने वाले हजारों शिक्षकों को अब शिक्षा से इतर होने वाले कामों से मुक्ति मिलने वाली है। निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के तहत सरकार की तरफ से शिक्षकों की ड्यूटी शिक्षा के अलावा अन्य कार्यों में नहीं लगाने की बात कही थी लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। शिक्षकों की शिकायत के बाद अब शिक्षा सचिव डाॅक्टर भूपिंदर कौर औलख ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर इस बात के निर्देश दिए हैं कि शिक्षकों से शिक्षा कार्य के अलावा किसी और तरह के काम नहीं लिए जाएं।
गौरतलब है कि राज्य की प्राथमिक शिक्षा को बेहतर बनाने और शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार ने पहले लिए गए निर्णय में प्रतिनियुक्ति पर दूसरे विभागों में कार्यरत शिक्षकों को भी अपने मूल तैनाती स्थल पर लौटने के आदेश दिए थे। प्राथमिक शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 को लागू किया। इस अधिनियम के तहत यह सुनिश्चित किया गया कि शिक्षकों की ड्यूटी स्कूल में शिक्षा देने के अलावा राज्य के अन्य कामों में नहीं लगाई जाएगी।
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यहां बता दें कि अधिनियम में व्यवस्था होने के बाद भी इसका पालन सही तरीके से नहीं हो पा रहा था। ऐसे में शिक्षकों की ड्यूटी जनगणना और दूसरे कामों के लिए लगाई जा रही है। शिक्षकों के द्वारा इसकी शिकायत करने पर अब शिक्षा सचिव डाॅक्टर भूपिंदर कौर औलख ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर इस बात के निर्देश दिए हैं कि शिक्षा के अलावा शिक्षकों की ड्यूटी 10 वर्षीय जनगणना, आपदा राहत कर्तव्यों या यथास्थिति, स्थानीय प्राधिकारी या राज्य विधानमंडलों या संसद के निर्वाचनों से संबंधित कर्तव्यों से अलग किसी गैर शैक्षिक कार्य नहीं लिए जा सकते हैं।