नैनीताल । महज एक रुपये में प्रतिमाह कंप्यूटर ट्रेनिंग की फ्रेंचाइजी देने के बाद लाखों की धोखाधड़ी कर कंपनी बंद करने के मामले में वांछित पायलट बाबा ने आखिरकार 1 दशक पुराने मामले में कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नैनीताल मुकेश कुमार की कोर्ट में सरेंडर करने के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया। हालांकि उनकी ओर से जिला एवं सत्र न्यायाधीश नरेंद्र दत्त की कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की गई लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया । इतना ही नहीं कोर्ट ने 15 पेज के अपने आदेश में साफ कर दिया है कि पायलट बाबा को मेडिकल आधार पर जमानत नहीं मिलेगी । कोर्ट ने कहा कि अगर वह अस्वस्थ थे तो कैसे घूम रहे थे।
बता दें कि आज से करीब एक दशक से पहले 25 नवंबर 2008 को हल्द्वानी गौजाजाली निवासी पूर्व दर्जा मंत्री हरीश पाल ने पायलट बाबा के खिलाफ ज्योलीकोट चौकी में तहरीर दी थी। इसके आधार पर पुलिस ने कपिल अद्वैत उर्फ पायलट बाबा , आइकावा इंटरनेशनल एजुकेशन तल्ला गेठिया के हिमांशु राय समेत कुछ अन्य लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी के साथ कई अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था।
इस मामले में सीबीसीआइडी ने अपनी जांच पूरी करने के बाद जून 2010 में पायलट बाबा समेत अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। इस मामले में सभी सात आरोपियों को सम्मन भेजे जा रहे हैं, लेकिन पता नहीं मिलने की वजह से नहीं मिल रहे हैं। छह अन्य अब भी फरार हैं। पायलट बाबा ने हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की तो कोर्ट ने उन्हें आत्मसमर्पण करने व उसी दिन जमानत अर्जी पर सुनवाई के निर्देश पारित किए। गुरुवार दोपहर को व्हील चेयर में पायलट बाबा ने सीजेएम कोर्ट में सरेंडर कर दिया। अभियोजन की ओर से अभियोजन अधिकारी तनुजा वर्मा ने जमानत का कड़ा विरोध किया, जबकि बचाव पक्ष की ओर से भी आरोपों का प्रतिवाद किया गया, जिसके बाद कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी।