देहरादून। गंगा की अविरलता को बनाए रखने और उसे प्रदूषण से मुक्त कराने को लेकर अनशन कर रहे मातृसदन के संत गोपाल दास देर शाम दून अस्पताल से गायब हो गए। संत गोपालदास के अस्पताल से गायब होने की खबर के बाद प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। बता दें कि लगातार 37 दिनों से अनशन करने वाले संत को उनकी गिरती सेहत और राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के मकसद से ऋषिकेश के एम्स में भर्ती कराया गया था। वहा से सोमवार को उन्हें दिल्ली के एम्स में भेजा गया। बुधवार को वहां से डिस्चार्ज होने के बाद दून अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन बिना कोई टेस्ट कराए या दवाई लिए देर शाम वे अपने तीमारदार के साथ अस्पताल से गायब हो गए।
गौरतलब है कि संत गोपाल दास के दून अस्पताल से गायब होने की खबर मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस को अस्पताल के बेड से उनके दोनों मोबाइल मिले हैं। पुलिस ने मोबाइल को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है। फिलहाल पुलिस के द्वारा अस्पताल की सीसीटीवी को भी खंगाला जा रहा है। इसके साथ ही मोबाइल से इस बात का पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि गायब होने से पहले उनकी किससे बात हुई या फिर किसे मैसेज किए गए हैं।
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यहां बता दें कि दून अस्पताल पहुंचने से पहले उन्हें दिल्ली एम्स से डिस्चार्ज किया गया था। दिल्ली एम्स के निदेशक डाॅक्टर गुलेरिया ने बताया कि मेडिकल बोर्ड ने उन्हें स्वस्थ घोषित किया था और उनकी मर्जी के अनुसार ही उन्हें डिस्चार्ज किया गया था। उन्होंने कहा कि उनसे पूछा गया कि वे कहां जाना चाहते हैं तो संत ने कहा कि देहरादून छोड़ दिया जाए। डाॅक्टर गुलेरिया ने कहा उन्होंने अपनी तरफ से गाड़ी का इंतजाम कर दून तक छुड़वाया था। संत गोपाल दास के दून अस्पताल से गायब होने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार ने उन्हें गायब करवाया है क्योंकि वे गंगा की रक्षा से जुड़े हुए थे। केजरीवाल ने कहा कि संत के पिता को भी नहीं बताया जा रहा है कि उनका बेटा कहां है?
आपको बता दें कि संत गोपाल दास ने मातृसदन के अंदर ही अनशन करने और संथारा साधना करने से जुड़ा पत्र पीएम मोदी को भी लिखा था। उस पत्र में उन्होंने इस दौरान किसी भी तरह का प्रशासनिक दखल न देने की बात कही थी।