देहरादून। राज्य सरकार द्वारा ‘मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ’ का नाम बदलकर ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय मातृ-पितृ तीर्थाटन’ करने के बाद अब अगले महीने से इस यात्रा को शुरू किया जा रहा है। इस योजना में सबसे बड़ा बदलाव यह किया गया है कि अब राज्य के अंदर ही मौजूद देवस्थानों पर घुमाया जाएगा। इसमें 6 नए धार्मिक स्थलों को जोड़ा गया है। साथ ही यह यात्रा पूरे साल चलती रहेगी। बता दें कि इनकम टैक्स जमा करने वाले बुजुर्गों को इस यात्रा से बाहर रखा गया है। इसके लिए जिला स्तर पर पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
बाहर की यात्रा नहीं होगी
गौरतलब है कि पिछली सरकार ने मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ के नाम से यह योजना शुरू की थी। इसमें बुजुर्गों को राज्य के अलावा बाहर के भी तीर्थ स्थानों के दर्शन कराए जाते थे लेकिन भाजपा सरकार ने इसके नियमों में बदलाव कर दिया। अब पर्यटन को बढ़ावा देने तथा हर जिले को यात्रा से जोड़ते हुए राज्य के बाहरी तीर्थस्थलों की यात्रा पर रोक लगा दी गई है।
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सालों भर चलेगी यात्रा
नए नियमों के अनुसार बुजुर्गों के पंजीकरण की प्रक्रिया भी सख्त कर दी गई है। अब इसके लिए आधार के साथ आय प्रमाणपत्र भी देना होगा। रिटायर और इनकम टैक्स देने वालों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। अब इन्हें गंगोत्री, बद्रीनाथ के अलावा पौड़ी जिले के ताड़केश्वर महादेव, कुमाऊं के जागेश्वर धाम, ऊधमसिंह नगर में नानकमत्ता, और हरिद्वार के पिरान कलियर के दर्शन कराए जाएंगे। डीएम कार्यालय में इसका पंजीकरण कराए जाने के बाद पर्यटन अधिकारी के मार्फत जिलों से यह यात्रा होगी। महाप्रबंधक (पर्यटन जीएमवीएन) बीएल राणा का कहना है कि नए सिरे से यात्रा का खाका तैयार कर लिया गया है। अब राज्य भर में साल भर तक यह यात्रा चलेगी। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यात्रा महत्वपूर्ण साबित होगी।