देहरादून। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी पाने वाले शिक्षकों के मामले में एसआईटी को एक और कामयाबी मिली है। देहरादून और रुद्रप्रयाग में कार्यरत 2 शिक्षकों के बीएड के प्रमाण पत्र अमान्य पाए गए हैं। यूनिर्सिटी से इसकी पुष्टि होने के बाद एसआईटी ने शिक्षा विभाग को इन शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की संस्तुति की है। यहां बता दें कि शिक्षकांे के फर्जी दस्तावेजों की जांच में एसआईटी को अब तक 64 डिग्री फर्जी मिली है। एसआईटी प्रदेश भर के शिक्षकों के 56 हजार प्रमाण पत्रों में से 21 हजार का अब तक सत्यापन करा चुकी है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वालों का खुलासा होने के बाद प्रदेश सरकार ने इसकी जांच के लिए एसआईटी का गठन किया। एसआईटी ने अब तक करीब 56 हजार प्रमाण पत्रों में से 21 हजार का सत्यापन करा चुकी है। इसी सिलसिले में 2 और शिक्षकों के दस्तावेज के फर्जी होने का पता चला है।
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यहां बता दें कि देहरादून के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बढ़ेरना रायपुर की सहायक अध्यापिका नीना 2014 में भर्ती हुई थीं। मंगलौर के ब्रहमपुर जट गांव निवासी नीना द्वारा 2005 में गुवाहाटी (असम) विश्वविद्यालय से दर्शाई गई बीएड की डिग्री विभाग को उपलब्ध कराई गई थी। एसआईटी के द्वारा विश्वविद्यालय से पुष्टि करने पर पता चला कि नीना को उनकी ओर से बीएड का प्रमाण पत्र जारी ही नहीं किया गया है।
आपको बता दें कि अमान्य डिग्री का दूसरा मामला रुद्रप्रयाग के ऊखीमठ के शिक्षक राजू लाल का है। राजू लाल ने शिक्षा विभाग को जो डिग्री उपलब्ध कराई थी वह चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की है। राजू लाल ने जेवी जैन महाविद्यालय, सहारनपुर से बीएड करने की बात कही गई थी। एसआईटी की जांच में उनकी डिग्री भी फर्जी पाई गई है। इसके बाद एसआईटी के द्वारा दोनों शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की संस्तुति कर दी गई है।