देहरादून । उत्तराखंड की राजनीति में इस समय काफी उथल-पुथल मची हुई है। राज्य के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं-विधायकों ने ''हाथ'' का साथ छोड़कर भाजपा के ''कमल'' को थाम लिया है। ऐसे में जहां कांग्रेस को अपनी नई रणनीति बनानी पड़ रही है, वहीं भाजपा में भी ''बाहरियों'' के आने से दंगल की स्थिति पैदा हो रही है। कांग्रेस से भाजपा में आए विधायकों को टिकट दिए जाने से भाजपा के उन नेताओं ने अपनी नाराजगी जताई है जो उन सीटों पर पिछले पांच साल से मेहनत कर रहे थे। इतना ही नहीं कई भाजपा नेताओं ने तो इन सीटों पर निर्दलीय चुनाव लड़ने की योजना भी बना ली है। ऐसे में भाजपा के सामने अब ऐसे नेताओं को मनाने की चुनौती आ गई है।
कांग्रेस का हल्का होता पलड़ा
असल में पिछले 11 महीनों के दौरान कांग्रेस के कई दिग्गजों का भाजपा में जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। छोटे नेताओं के साथ कांग्रेस के 11 विधायक इस समयावधि में कांग्रेसी से भाजपाई हो गई हैं। अब कांग्रेस के सामने चुनौती ये है कि इन दिग्गज नेताओं के दल छोड़कर जाने के बाद आखिरी समय में किस पर दांव खेला जाए। अपने -अपने इलाकों में पकड़ रखने वाले कांग्रेस के कई नेता अब भाजपा का कमल थामे बैठे हैं। ऐसे में उनके प्रभाव को कम करके अपने नए उम्मीदवार को चुनावी समर में उतारने की चुनौती से इस समय कांग्रेस को जूझना पड़ रहा है। कांग्रेस जीतने वाले उम्मीदवारों पर दांव खेलना चाहती है लेकिन मौजूदा परिस्थिति में भाजपा का पलड़ा भारी होता नजर आ रहा है।
भाजपा अपने को कैसे मनाएगी
भाजपा द्वारा सभी मौजूदा विधायकों को टिकट दिए जाने के ऐलान के बाद पार्टी के वो नेता नाराज हैं जो कांग्रेस सीट पर लंबे समय से मेहनत कर रहे थे। कांग्रेसी नेताओं के भाजपा में आने के बाद पार्टी ने मौजूदा सभी विधायकों को (चाहे कांग्रेस के हों या भाजपा के) टिकट दिए जाने की घोषणा की है। सोमवार शाम भाजपा द्वारा जारी सूची में इसकी पुष्टि होने के बाद पार्टी के कई नेता नाजार हो गए हैं। इतना ही नहीं कई ने तो निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात कही है। इस स्थिति के बाद भाजपा में भी दंगल का एक दौर तो शुरू हो ही गया है। केदारनाथ से आशा नौटियाल, यमकेश्वर से विजय बड़थ्वाल समेत रुड़की से पूर्व विधायक सुरेश जैन ने तो निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दी है।
भाजपा ने गतिरोध के किया इनकार, सबको सम्मान मिलेगा
इस पूरे प्रकरण पर भाजपा का कहना है कि टिकट बंटवारे के चलते पार्टी में कोई असंतोष नहीं है। हमने नए सुनियोजित रणनीति के तहत टिकट बंटवारे के काम को अंजाम दिया है। अब ये तो संभव नहीं कि सभी को टिकट मिल जाए, लेकिन यह तय है कि किसी को संगठन में अहम स्थान मिलेगा तो किसी को ये टिकट दिए गए हैं। भले ही भाजपा अपनी इन बातों को कहकर खुद संतोष करना चाह रही है लेकिन सही में बाहरियों को टिकट देकर भाजपा ने अपने लिए कुछ मुसीबतें तो मोल ले ही ली हैं। बहरहाल, अब देखना ये होगा कि भाजपा निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके इन नेताओं और आने वाले समय में चुनौती खड़ी करने वाले नेताओं को मनाने में किस हद तक कामयाब होगी।