देहरादून । उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग उत्तराखंड द्वारा जनपद पौड़ी की सिफारिश रिपोर्ट का विमोचन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सबसे अधिक पलायन प्रभावित जनपद पौड़ी के बाद क्रमशः अल्मोड़ा व अन्य जिलों का अध्ययन किया जाएगा। इसके साथ ही राज्य सरकार ग्रामीण विकास से संबंधित सभी विभागों के साथ संयुक्त प्रयास के साथ पलायन प्रभावित जिलों में विकास की कार्ययोजना पर कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग ने ग्रामीण विकास की दृष्टि से 3600 करोड़ की योजना बनाई है, जिसे भारत सरकार ने भी संस्तुति दे दी है। यह ऋण व्यवस्था है जिसमें 80 राज्य तथा 20 केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाता था। अब इसे 60 व 40 कर दिया गया है। राज्य सरकार जल्द ही ग्रामीण विकास की दृष्टि से तमाम योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु एक बड़ी कार्य योजना लॉन्च करेगी।
विश्लेषण सिफारिश रिपोर्ट आई सामने
सीएम आवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम रावत ने कहा कि पलायन रोकने व जनपद में विकास को सुनिश्चित करने के लिए क्या किया जाना चाहिए इसका विश्लेषण सिफारिश रिपोर्ट में किया गया है। ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की यह सिफारिश रिपोर्ट आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। इस दौरान पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ एसएस नेगी ने जानकारी दी कि ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग, जनपद पौड़ी गढ़वाल के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास को सुदृढ़ बनाने के लिए सिफारिशों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। रिपोर्ट में जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों से हो रहे पलायन को कम करने के लिए आयोग द्वारा सामाजिक-आर्थिक स्थिति का विस्तृत विश्लेषण कर इसे सुदृढ़ करने की सिफारिशें शामिल हैं।
उत्तराखंड में ‘केदारनाथ’ हुई बैन, लव-जेहाद को बढ़ावा देने से कानून व्यवस्था बिगड़ने के आसार
ग्रामीण क्षेत्रों में चिंताजनक पलायन
रिपोर्ट में सामने आए आंकडें दर्शाते हैं कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से चिन्ताजनक पलायन हुआ है। 1212 ग्राम पंचायतों (2017-18) में से 1025 ग्राम पंचायतों से पलायन हुआ है। लगभग 52 प्रतिशत पलायन मुख्य रूप से आजीविकाध्रोजगार की कमी के कारण हुआ है। जिले से पलायन करने वालों की आयु वर्ग मुख्यतया 26 से 35 वर्ष है। लगभग 34 प्रतिशत लोगों ने राज्य से बाहर पलायन किया है। जो कि अल्मोड़ा जिले के बाद सबसे अधिक है।
अतिथि शिक्षकों के आने वाले हैं ‘अच्छे दिन’, 15 दिनों के अंदर स्कूलों और काॅलेजों में होगी नियुक्ति
थैलीसैंण विकासखंड की आबादी में वृद्धि
रिपोर्ट के अनुसार , 2001 से 2011 के बीच खिर्सू, दुगड्डा और थलीसैंण विकासखण्ड़ों की आबादी में वृद्धि हुई है, हालांकि अन्य विकास खण्ड़ों की आबादी घटी है या यह वृद्धि बहुत धीमी हुई है।
गढ़वाल विश्वविद्यालय में पेट्रोल की बोतल लेकर छत पर चढ़े छात्र, प्रशासन के छूटे पसीने
सामान्य सिफारिशें
1- गांव की अर्थव्यस्था और विकास को वृद्वि देना-ग्राम स्तर पर आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ठ रणनीतियों को तैयार करने और कार्यान्वित करने की आवश्यकता है, इससे स्थानीय निवासियों के लिए अतिरिक्त आय उत्पन्न होगी, जिससे पलायन में कमी आयेगी तथा प्रवासियों में अपने गांव की तरफ लौटने का उत्साह रहेगा।
2- ग्रामों अथवा ग्रामों के क्लस्टर के स्तर पर एक जीवंत अर्थव्यवस्था ग्राम पंचायतध्ग्राम पंचायतों के समूह में सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करेगी। सामान्य कमियों को सुधारने की कोशिश करने के बजाय प्रत्येक क्षेत्र की अद्वितीय ताकत पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
3- कृषि एवं गैर-कृषि आय में बढावा देने की आवश्यकता-कृषि एवं गैर-कृषि आय को बढ़ावा देने की आवश्यकता है क्योंकि पांरपरिक कृषि आय एवं गैर-परंपरागत कृषि आय की अपेक्षा सेवा क्षेत्र से आय बढ़ी है।
4- ग्राम केन्द्रित योजना -वे ग्राम जिनकी भौगोलिक स्थिति, वातावरण की परिस्थितियां, भूमि उपयोगिता, सिचाई एवं पेयजल की उपलब्धता, पलायन का स्तर आदि समान हो उनकी क्लस्टर बनाकर विशेषज्ञों, रेखीय विभाग तथा स्थानीय लोगो की सलाह पर कार्य योजना तैयार की जाय।
अब सरकार चलाएगी सुभारती मेडिकल काॅलेज, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद काॅलेज को किया गया सील
5- बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता-पानी की कमी, पक्की सड़कें , अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य आदि बुनियादी सुविधाएं हैं जिन्हें गावों तक पहुचाना है, प्रमुखतः उन गावों में जहाँ से अधिक पलायन हुआ है।
6- जलवायु परिवर्तन-जलवायु परिवर्तन चिंता का एक प्रमुख कारक है, खासकर पौड़ी जिले में जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों का एक बड़ा हिस्सा उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है। जलवायु परिवर्तन से कृषि अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा प्रभावित होती है।
7- कर्मचारियों और स्थानीय समुदायों का पुनः अभिविन्यास-सभी रेखीय विभागों के कर्मचारियों को फिर से प्रेरित और प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है ताकि वे उन ग्रामीण क्षेत्रों में केन्द्रित सामाजिक-आर्थिक विकास को बढावा दे सकें जो पलायन से प्रभावित हैं। अगले पांच से दस वर्षों तक रेखीय विभागों का ध्यान ग्रामध्ग्राम पंचायत की अर्थव्यवस्था को सुधारने पर केन्द्रित होना चाहिए,कौशल विकास-स्थानीय अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुसार कौशल विकास कार्यक्रमों को तैयार करना चाहिए जैंसे कि कृषि सम्बन्धी प्रोद्योगिकी में सुधार, गैर मौसमी खेती, खाद्य, फल प्रसंस्करण दुग्ध उद्योग आदि।
8- महिलाओं की भूमिका पर ध्यान केंद्रित करना-सामाजिक-आर्थिक विकास में महिलाओं की भागीदारी पर ध्यान केन्द्रित करना होगा जिनसे उनकी कठिनाइयों में कमी आये। विकास केन्द्र-हाल ही में उत्तराखण्ड सरकार ने विकास केन्द्रों को बढ़ावा एवं सुविधाए प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू की है। ग्राम्य विकास विभाग और विकास केन्द्रों को एक साथ मिलकर काम करना होगा।
9-जिला नीति, ग्रामीण अर्थव्यवस्वथा को बढाने के लिए रणनीति और दृष्टिकोण-जिला मजिस्ट्रेट और मुख्य विकास अधिकारी को जिले की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए मुख्य भूमिका निभाते हुए रणनीति तैयार कर विकास खण्ड एवं ग्राम पंचायत स्तर पर कार्य योजना बनाने पर ध्यान केन्द्रित करना होगा।