उत्तरकाशी। अगर आप पक्षियों को कलरव करते हुए सुनना चाहते हैं और उन्हें पानी में अठखेलियां करते हुए देखना चाहते हैं तो उत्तराखंड आइए। यह बात सबको पता है कि प्रकृति ने प्रदेश को बेपनाह खूबसूरती बख्शी है। इसके हर हिस्से में प्राकृतिक सुन्दरता बिखरी है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी यहां आते हैं। खासकर मनेरी भाली जल-विद्युत परियोजना प्रथम और द्वितीय की झील तो इन दिनों जल मुर्गी समेत तमाम प्रजातियों के परिंदों का बसेरा बनी हुई है।
प्रवासी पक्षी का जमावड़ा
गौरतलब है कि सर्दियों के आगमन के साथ ही यहां प्रवासी पक्षियों का झुंड आना शुरू हो जाता है। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले परिंदे भी यहां के झीलों में अपना बसेरा बना लेते हैं। पिछले कुछ समय में यहां आने वाले परिंदों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है, खासकर मनेरी-भाली परियोजना प्रथम वाली झील में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आ रहे हैं।
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रोजगार के अवसर
आपको बता दें कि उत्तरकाशी प्रभाग के वनाधिकारी संदीप कुमार का कहना है कि बर्ड वाॅचिंग इको टूरिज्म का बेहतरीन उदाहरण है। इसे और विकसित करने के लिए योजना बनाई जा रही है ताकि स्थानीय युवाओं को गाइड के तौर पर प्रशिक्षित किया जा सके।
इन पक्षियों का होता है दीदार
जल मुर्गी, सुर्खाब, गर्गानेय डक, स्पॉट बैलड डक, लिटिल ग्रैब, जंगली मुर्गी, मुर्गी, तीतर, प्लम हेडेड पैरेट, स्प्रेडड डव, ग्रीन बीटर, कठफोड़वा, हुदहुद, हिमालयन बुलबुल, रेड वेंटेड बुलबुल, जंगल बबलर, पैराडाइज फ्लाइ कैचर, वेरिडेटर फ्लाइ कैचर, रूफस ट्री पाई, सनबर्ड, कॉमन किंगफिशर और व्हाइट थ्रोटेड किंगफिशर आदि।