अहमदाबाद । गुजरात में मंगलवार को सियासी पारा चढ़ा दिख रहा है। प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव जारी हैं। भाजपा की ओर से जहां अमित शाह और स्मृति ईरानी की जीत पक्की मानी जा रही है, वहीं इन चुनावों में पूरी लड़ाई उस तीसरी सीट के लिए हैं, जिसे कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल के वजूद के लिए काफी अहम माना जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल को जिताने के लिए कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है, लेकिन खबर है कि कांग्रेस के कुछ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है, जिसके चलते उनके सीट जीतने पर संशय है। भाजपा ने अहमद पटेल के सामने कांग्रेस से ही पार्टी में आए बलवंत सिंह राजपूत को उम्मीदवार बनाया है। इस बीच हाल के कांग्रेस छोड़ चुके दिग्गज नेता शंकर सिंह बाघेला के बारे में खबर आ रही है कि उन्होंने भी अहमद पटेल के पक्ष में वोट नहीं किया है। खबर ये भी है कि हाल में कांग्रेस का दामन छोड़ने वाले विधायकों के साथ सहयोगी एनसीपी ने भी कांग्रेस को झटका देते हुए भाजपा उम्मीदवार के समर्थन का ऐलान किया है।
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शाम 6 बजे तक नतीजे आ जाएंगे
बता दें कि राज्य की तीन विधानसभा सीटों पर जहां भाजपा ने एक सीट पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को उतारा है, तो दूसरी सीट पर पार्टी की तेजतर्रार नेता स्मृति ईरानी को उतारा है। तीसरी सीट पर भाजपा ने कांग्रेस छोड़ भाजपा के कमल को थामने वाले बलवंत सिंह राजपूत को उतारा है। हाल तक वह सदन में कांग्रेस के मुख्य सचेतक थे, लेकिन पिछले दिनों उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया है, जिनके सामने हैं कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार अहमद पटेल, जो कांग्रेस की सरकार के समय सत्ता की धुरी कहे जाते थे। बहरहार, आज शाम 6 बजे तक नजीते भी आ जाएंगे।
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बस में भरकर आए कांग्रेसी विधायक
वहीं इन चुनावों के लिए कांग्रेस के 44 विधायक वोट डालने एक बस में सवार होकर आए, ये वहीं विधायक थे जिन्हें पार्टी में फूट के डर से बेंगलुरु के एक रिसॉर्ट्स में ठहराया गया था। हालांकि कांग्रेस विधायक राघवजी पटेल, धर्मेंद्र जडेजा समेत कई अन्य ने ऐलान किया कि उन्होंने भाजपा उम्मीदवार बलवंत राजपूत के पक्ष में वोट किया। वहीं मतदान के लिए पहुंचे शंकरसिंह वाघेला ने भी दावा किया कि उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल को वोट नहीं दिया क्योंकि कांग्रेस जीतने नहीं जा रही। वहीं इन 44 विधायकों में से भी एक विधायक ने क्रॉस वोटिंग कर दी है, जिसके चलते अहमद पटेल की दावेदारी पर संकट खड़ा हो गया है।
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सकारात्मक राजनीति की, हमारी जीत पक्की
राज्य में तीन सीटों पर चुनाव के लिए सुबह से ही राज्य के बड़े नेताओं का मतदान के लिए आना शुरू हो गया। मतदान केंद्र पर सुबह के समय भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को देखा गया। उन्होंने आते ही विक्ट्री साइन बनाकर अपनी जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त होने का दावा किया। वहीं तीसरे उम्मीदवार बलवंत सिंह राजपूत बोले- हमारी जीत निश्चित है, हमारी पार्टी ने जो सकारात्मक राजनीति की है उसकी वजह से हम जीतेंगे।
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कांग्रेस का गणित बिगड़ा
इन चुनावों में कांग्रेस का पूरा समीकरण बिगड़ गया है। असल में राज्य में कांग्रेस के 65 विधायक थे, जिसके आधार पर कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने राजनीतिक सचिव अहमद पटेल को संसद में लाने का रास्ता बनाया था, लेकिन चुनावों के ऐलान के साथ ही कांग्रेस के 6 विधायक भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद कई विधायक कांग्रेस आलाकमान के संपर्क से दूर हो गए। ऐसे में कांग्रेस ने अपने 44 विधायकों को टूट के डर से बेंगलुरू भिजवा दिया, लेकिन अब मतदान के दौरान कई कांग्रेसी विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार को अपना वोट देने का दावा किया है। वहीं एनसीपी की पार्टी के दो विधायकों के वोट को लेकर भी कांग्रेस आश्वस्त नहीं है, एक विधायक ने तो भाजपा के पक्ष में मतदान करने की बात कही। एनसीपी विधायक कंधाल जडेजा ने गांधीनगर में संवाददाताओं से कहा कि वह और एक और पार्टी विधायक जयंत पटेल से राजपूत के समर्थन में वोट देने को कहा गया है।
जीत के लिए चाहिए 45 मत
अगर ये कहा जाए कि राज्यसभा की इन तीन सीटों पर चुनाव के केंद्र में सिर्फ अहमद पटेल की उम्मीदवारी ही है, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। अहमद पटेल को जीतने के लिए 45 वोटों की दरकार है। पार्टी दावा करती है कि उनके पास 44 विधायक हैं, जो उनके पक्ष में ही वोट करेंगे। हालांकि सियासी आंकड़े कुछ और ही कहते हैं। इस बार चुनाव में नोटा की व्यवस्था भी लागू है। ऐसे में कांग्रेस को इस बात का डर है कि अगर उनके किसी विधायक ने क्रॉस वोटिंग कर दी या किसी ने नोटा दबा दिया तो उनकी इस सीट पर दावेदारी छीन जाएगी।