Saturday, April 27, 2024

देवशयनी एकादशी साथ अगले चार महीनों तक नहीं होंगे कोई शुभकार्य, जानें महत्व

अंग्वाल न्यूज डेस्क
देवशयनी एकादशी साथ अगले चार महीनों तक नहीं होंगे कोई शुभकार्य, जानें महत्व

 

आने वाले दिनों में अगर किसी शुभ मुहूर्त में कोई शुभ कार्य करने की सोच रहे हैं जो इस खबर को ध्यान से पढ़ें। असल में देवशयनी एकादशी के चलते मंगलवार यानि (4 जुलाई से) चार माह तक शुभ कार्य नहीं हो सकेंगे। किसी भी शुभ कार्य के लिए 3 जुलाई अंतिम तारीख थी अब अगले चार माह तक कोई शुभ मुहूर्त नहीं है, जिसमें आप अपना गृह प्रवेश, विवाह समारोह आदि नहीं कर पाएंगे। कहा जाता है कि देवशयनी एकादशी के साथ ही मंगलवार से देव सो गए हैं, जो अब चार महीने बाद यानि 31 अक्तूबर को देवउठनी एकादशी पर ही जागेंगे। देवउठनी एकादशी को छोटी दीपावली भी कहा जाता है। उस दिन दीप जलाकर आतिशबाजी की जाती है, साथ ही विवाह समारोह की शुरुआत भी होती है।

असल में 4 जुलाई से चातुर्मास की शुरुआत हो गई है। ऐसा माना जाता है कि आगामी चार माह सावन, भादो, अश्व‍िन और कार्तिक में भगवान विष्णु चिर निद्रा में चले जाते हैं। भगवान विष्णु के सो जाने का मतलब है कि इन चार महीनों में कोई शुभ या मांगलिक काम नहीं हो पाएंगे। ऐसे में 4 जुलाई से 31 अक्टूबर तक किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य को शुभ नहीं माना जाता। 

जानकारों का मानना है कि सावन के महीने में साग और हरी सब्ज‍ियां नहीं खानी चाहिए। इसी क्रम में भादो में दही और अश्व‍िन महीने में दूध से बने पकवान नहीं खाने चाहिए। वहीं कार्तिक मास में दालों का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दौरान मांस-मदिरा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। कुछ जानकार इस दौरान शरीर पर तेल नहीं लगाने के साथ ही कांसे के बर्तन में खाना न खाने की सलाह देते हैं।हालांकि इस दौरान किसी प्रकार की देवी पूजा, तपस्या, हवन पूजन पर कोई रोक नहीं होती। इस दौरान कथा आयोजन, पूजन-यज्ञ या कोई धार्मिक अनुष्ठान करवाया जा सकता है। 

ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलिक के यहां चार मास पहरा देते हैं। इसके चलते शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लग जाता है। इस बार 31 अक्तूबर को देव उत्थान एकादशी है, जिस दिन किसी भी शुभ कार्यों को करने के लिए किसी प्रकार के मुहूर्त की जरूरत नहीं होती। 


एकादशी का हमारे शास्त्रों में विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार देवताओं को एकादशी सबसे प्रिय होती है।  इस बार देवशयनी एकादशी के व्रत का परायण 5 जुलाई को सुबह 7:56  से 9:28 के बीच किया जाएगा। व्रत के साथ ही एकादशी के दौरान मंदिर में दीपदान, घर में कीर्तन, तुलसी पूजन एवं गुप्त दान करने से अच्छे फल की प्राप्ति होती है।

आषाढ़ मास में आती है देवशयनी एकादशी

देवशयनी एकादशी आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में आती है। इसे हरिशयनी, देवशयनी, विष्णुशयनी, पदमा या शयन एकादशी भी कहा जाता है। सूर्य के मिथुन राशि में आने पर यह एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास शुरू होता है। यानी इस दिन से भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और फिर चार माह बाद जिस दिन उन्हें उठाया जाता है, उसे देवोत्थानी एकादशी कहा जाता है। कहा जाता है कि आज के बाद से हिंदू धर्म के सभी शुभ काम अगले चार महीने तक बंद हो जाएंगे और फिर देवोत्थान एकादशी से मांगलिक कार्य शुरू होंगे।

हर महीने में दो बार आती है एकादशी

एकादशी हर महीने में दो बार आती है। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के 11वें दिन यह तिथि होती है। इस तरह से साल में कुल 24 एकादशी होती है। कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने वाले मनुष्य के जीवन से पाप नष्ट होते है एवं जीवन में अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

 

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