देहरादून। राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत 1 अगस्त से राज्य को पूरी तरह से पाॅलीथिन से मुक्त करने की घोषणा कर चुके हैं लेकिन हकीकत में कोई काम होता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में अंदेशा जताया जा रहा है कि प्रदेश में पॉलीथिन पर प्रबंध लगाने की बात सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह जाएगी।
गौरतलब है कि 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश को पॉलीथिन मुक्त बनाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि 31 जुलाई से एक सप्ताह पहले पॉलीथिन पर प्रतिबंध को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने मुहिम को प्रभावी रूप से चलाने के लिए टास्क फोर्स के गठन की भी बात कही थी लेकिन अब 1 अगस्त आने में महज 2 दिनों का वक्त है लेकिन टास्क फोर्स कहीं नजर नहीं आ रही है। ऐसे में अब यह सवाल उठ रहा है कि राज्य को पाॅलीथिन से मुक्ति कैसे मिलेगी?
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यहां बता दें कि इस बारे में जब मुख्यमंत्री से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सबकुछ पीएम के स्वच्छता अभियान के मद्देनजर किया जा रहा है। वहीं कार्ययोजना को अमलीजामा पहनाने वाले अधिकारी भी इस मामले पर कुछ बोलने से बचते हुए ही दिखाई दिए। गौर करने वाली बात है कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत कई मंचों से राज्य में पाॅलीथिन से मुक्त करने की बातें कह चुके हैं लेकिन जमीनी हकीकत देखकर ऐसा लगता है कि सीएम की बातें सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाएंगी।