देहरादून। राज्य की आर्थिक खस्ताहाली का खामियाजा वहां के कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। खजाना खाली होने की वजह से राज्य कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का भत्ता देना मुश्किल हो रहा है। सातवें वेतनमान को लागू कराने के लिए बनाई गई इंदू कुमार पांडे समिति की सिफारिशों के अनुसार कर्मचारियों को इस वेतन आयोग के भत्ते देने से करीब 300 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। बताया जा रहा है कि आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से सरकार इन भत्तों को टालती रही है।
सरकार पर अतिरिक्त बोझ
गौरतलब है कि राज्य सरकार कर्मचारियों के वेतन-भत्तों और पेंशन पर अपनी आय से अधिक खर्च कर रही है। हालत यह है कि कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और भत्तों पर सालाना 18 हजार करोड़ के करीब खर्च हो रहा है जबकि सरकार का कुल सालाना राजस्व 15 हजार करोड़ के करीब है। भत्तों के तौर पर भुगतान की जाने वाली सालाना 300 करोड़ की राशि भी इसमें जोड़ ली जाए तो यह राशि और बढ़ जाएगी। वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बढ़े हुए भत्तों का भुगतान सरकार को शासनादेश जारी होने के दिन से करना पड़ेगा।
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मुख्य सचिव के साथ होगी बैठक
यहां बता दें कि सरकारी खजाना खाली होने के चलते ही कर्मचारियों के भत्ता भुगतान में देरी की जा रही है। वित्त सचिव का कहना है कि कर्मचारियों को भत्ता देना सरकार की जिम्मेदारी है, इंदु कुमार पांडे समिति की सिफारिशों पर निर्णय लेने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जल्द ही बैठक की जाएगी और उसके बाद कैबिनेट में इस मामले पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। गौर करने वाली बात है कि आठ विभागों के कर्मचारियों के वाहन भत्ते हाल में बंद किए गए हैं। कर्मचारी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि इंदु कुमार पांडे समिति की सिफारिशें लागू होने के बाद उनको वाहन भत्ता मिलने लगेगा। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष ठाकुर प्रह्लाद सिंह ने बताया कि आठ विभाग के कर्मचारियों का 12 सौ वाहन भत्ता बंद किया गया है।