देहरादून। नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को एक बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने राज्य में चल रही सभी पनबिजली परियोजनाओं पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही सभी जिलाधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा परियोजना के दौरान निकले मलबे के निस्तारण के लिए डंपिंग ग्राउंड तैयार करवाया जाए और इस बात का खास ध्यान रखा जाए कि डंपिंग ग्राउंड नदियों से कम से कम 500 मीटर की दूरी पर हो। इस आदेश के उल्लंघन पर जिलाधिकारी को सीधे तौर पर जिम्मेदार माना जाएगा। बता दें कि हिमाद्री जनकल्याण संस्थान ने पनबिजली कंपनियों पर मलबे का निस्तारण सही ढंग से नहीं करने की वजह से पर्यावरण और नदियों के होने वाले नुकसान के मद्देनजर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।
गौरतलब है कि इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की पीठ ने यह फैसला सुनाया है। बता दें कि रुद्रप्रयाग की हिमाद्री जनकल्याण संस्थान द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पनबिजली परियोजनाओं में निकलने वाले मलबे के निस्तारण की सही व्यवस्था नहीं होने की बात कही गई थी। याचिका में कहा गया कि इन कंपनियों को शर्तों पर डंपिंग जोन आवंटित किए गए थे लेकिन स्थानीय प्रशासन से साठगांठ कर मलबे को आवंटित जोनों में डालने की बजाय नदियों और राष्ट्रीय राजमार्ग-58 के किनारे फेंका जा रहा है, जहां अब तक करोड़ों टन मलबा निस्तारित किया जा चुका है। याचिका में कहा गया कि कई डंपिंग जोन 2013 की आपदा में बह गए थे और कंपनियों ने दूसरे जोन निर्धारित नहीं किए।
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यहां बता दें कि हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी जिलाधिकारियों को इस बात के निर्देश दिए हैं कि मलबे के निस्तारण के लिए डंपिंग ग्राउंड बनाया जाए। साथ ही इस बात के निर्देश भी दिए हैं कि डंपिंग ग्राउंड नदी से 500 मीटर की दूरी पर हो ताकि मलबा बहकर नदी में न चला जाए। कोर्ट ने जिलाधिकारियों को यह भी सुनिश्चित कराने को कहा कि नदियों में कम से कम 15 फीसदी प्रवाह बना रहे। भविष्य में बनने वाली परियोजनाओं में डंपिंग जोन के निर्धारण की शर्त अनिवार्य किए जाने के भी निर्देश भी अदालत ने दिए हैं।