हरिद्वार। महंगे इलाज के इस दौर में जहां गरीबों के लिए इलाज कराना मुमकिन नहीं है वहीं हरिद्वार का जिला अस्पताल लोगों के सामने एक मिसाल पेश की है। हरिद्वार के जिला अस्पताल का निराश्रित वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों का इलाज खुद यहां के डाॅक्टर और कर्मचारी मिलकर कराते हैं। जिला अस्पताल का हर कर्मचारी हर महीने अपने इच्छानुसार इसमें दान देते हैं। यहां यह भी बता दें कि मरीजों के स्वस्थ होने के बाद उन्हें घर तक छोड़ने की भी व्यवस्था यहां के कर्मचारियों द्वारा ही किया जाता है।
साल 2010 में हुआ निराश्रित वार्ड
गौरतलब है कि हरिद्वार के जिला अस्पताल के निराश्रित वार्ड में आने वाले अशक्त और असहाय मरीजों के इलाज का खर्चा यहां के डाॅक्टर और कर्मचारी ही उठाते हैं। यहां बता दें कि हरिद्वार के जिला अस्पताल में निराक्षित वार्ड की शुरुआत अपर वार्ड इंचार्ज संतोष देवी ने साल 2010 में किया था। संतोष देवी कहती हैं कि 2010 में वे श्रीनगर से ट्रांसफर होकर हरिद्वार आयीं। यहां अस्पताल में आए दिन निराश्रित और लावारिस रोगी आते थे। रोगियों के पास न तो पैसे होते थे और न ही उनकी देखभाल करने वाला कोई। ऐसे में उन्होंने डॉक्टरों से बातकर ऐसे रोगियों के लिए अलग से वार्ड की व्यवस्था कराई। इसके बाद रोगियों के इलाज, खाने-पीने और उनके कपड़ों के लिए अस्पताल के स्टाफ से चंदा लेना शुरू किया। वर्ष 2011 में अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक स्वर्गीय डॉ. अजब सिंह रावत के सुझाव पर चंदे का रिकॉर्ड रखने के लिए रजिस्टर बनाया गया। इसके बाद हर महीने प्रथम से लेकर तृतीय श्रेणी के सभी कर्मचारियों से चंदा लिया जाता है। कई रोगियों के लिए बैसाखी, दवाई और वॉकर की व्यवस्था की निशुल्क की जाती है।
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कपड़े भी दिए जाते हैं
इस वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए कपड़ों की व्यवस्था भी अस्पताल के कर्मचारी करते हैं। संतोष देवी ने बताया कि कर्मचारी अपने पुराने कपड़े अस्पताल में रखते हैं। जरूरत पड़ने पर इन कपड़ों को निराश्रित वार्ड के रोगियों को दान कर दिया जाता है। कई बार रोगियों के लिए डॉक्टर खुद ही बाहर से दवाएं भी खरीदकर लाते हैं।
दूसरे राज्यों के मरीजों को छोड़ते हैं घर तक
हरिद्वार में बीमार या दुर्घटनाग्रस्त होने पर दूसरे राज्यों के भी कई गरीब यात्री इस वार्ड में भर्ती होते हैं। नर्सिंग अधीक्षिका मंजु त्रिपाठी ने बताया कि ऐसे मरीजों का पूरा इलाज कर उन्हें घर भेजने के लिए भी चंदे के पैसों से ही व्यवस्था की जाती है।उपचार के दौरान जिन रोगियों का निधन हो जाता है उनका दाह संस्कार श्रीगंगा सभा कराती है।