देहरादून। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) का कैंपस श्रीनगर गढ़वाल में ही रहेगा। आईटीआई और रेशम बोर्ड की जमीन पर अस्थाई तौर पर कैंपस बनाया जाएगा। केंद्र और प्रदेश सरकार बीच इस बात की सहमति बन गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात कर एनआईटी पर गठित हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट भी सौंपी है। इस रिपोर्ट में एनआईटी के शासक मंडल (बीओजी) की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं।केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बात का आश्वासन दिया है कि उत्तराखंड को शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत मिलने वाली राशि का बकाया हिस्सा जल्द जारी किया जाएगा।
गौरतलब है कि सीएम ने सुमाड़ी में स्थित एनआईटी के स्थाई कैंपस को ही उपयुक्त बताया है। हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि सुमाड़ी में स्थित कैंपस में सुविधाएं उपलब्ध कराने के बावजूद उसे वहां से हटाए जाने की कोशिश किया जा रहा है। मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री के बीच इस रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा हुई।
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यहां बता दें कि दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात के बाद इस बात पर सहमति बन गई है कि एनआईटी श्रीनगर का कैंपस नहीं बदला जाएगा। इसके साथ ही एक नया अस्थाई कैंपस भी बनाया जाएगा और यह अस्थाई कैंपस आईटीआई और रेशम बोर्ड की जमीन पर बनाया जाएगा।
गौर करने वाली बात है कि हाईपावर कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि सुमाड़ी में संस्थान के निर्माण के लिए राज्य सरकार 300 एकड़ अतिक्रमणरहित भूमि एनआईटी के नाम हस्तांतरित कर चुकी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात के बाद केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बात का आश्वासन दिया है कि उत्तराखंड को शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत मिलने वाली राशि का बकाया हिस्सा जल्द जारी किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने विशिष्ट बीटी अध्यापकों के अलावा अन्य शिक्षकों को भी राहत देने का भरोसा दिया है। जवाड़ेकर ने कहा कि विशिष्ट बीटीसी अध्यापकों के लिए केंद्र सरकार ने विधेयक पास कर दिया है।