Monday, April 29, 2024

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हाथ-पैर नहीं होने के बावजूद निकोलस बने दुनिया के लिए मिसाल, दे रहे जिन्दगी जीने की सीख

अंग्वाल न्यूज डेस्क
हाथ-पैर नहीं होने के बावजूद निकोलस बने दुनिया के लिए मिसाल, दे रहे जिन्दगी जीने की सीख

सुख और दुख हमारी जिन्दगी का हिस्सा है। कई बार ऐसा देखने में आता है कि इंसान अपनी छोटी-छोटी परेशानियों से ऊबकर जिन्दगी जीने की चाह ही छोड़ देता है। आज हम आपको एक ऐसे इंसान के बारे में बताने जा रहे हैं जो बचपन से ही मुश्किलों से जूझ रहा है लेकिन इसके बावजूद आज वह पूरी दुनिया में एक सफल वक्ता बना हुआ है। आइए उस शख्स के बारे में हम आपको बताते हैं। 

प्रेरक वक्ता

हम बात कर रहे हैं आॅस्ट्रेलिया के निकोलस वुजिसिक की। अपने जीवन की 34 बसंत देख चुके निकोलस का जन्म ही बिना हाथों और पैरों के हुआ है। डाॅक्टर भी उनका इलाज करने में नाकामयाब रहे। इसके बावजूद उन्होंने जीने की चाह नहीं छोड़ी और आम लोगों की तरह अपनी जीवन जिया। निकोलस ने महज 19 साल की उम्र में अपना पहला भाषण दिया था। आज वे पूरी दुनिया में एक प्रेरक वक्ता के तौर पर अपनी प्रेरणादायी बातों से लोगों में जोश भरते हैं। आपने भी उन्हें टेलिविजन पर देखा होगा 

यंग आॅस्ट्रेलियन का पुरस्कार भी जीता

आपको बता दें कि आज विश्वभर में निक के करोड़ों अनुयायी हैं, जो उन्हें देखकर प्रेरित होते हैं। उन्हें कई पुरस्कार भी मिले हैं।  साल 2007 में निक ने ऑस्ट्रेलिया से दक्षिण कैलिफोर्निया की लंबी यात्रा की, जहां वे इंटरनेशनल नॉन-प्रॉफिट मिनिस्ट्री, लाइफ विथआउट लिम्बस के अध्यक्ष बने। अपनी इस बहादुरी के लिए उन्होंने ऑस्ट्रेलियन यंग सिटीजन अवार्ड भी जीता। 


जिन्दगी जीने का नजरिया

आज निकोलस एक लेखक, संगीतकार एवं कलाकार हैं। इसके अलावा उन्हें फिशिंग, पेंटिंग और स्विमिंग का भी शौक है। वे सामान्य व्यक्ति की ही तरह गोल्फ और फुटबॉल भी खेलते हैं। यहां तक की तैराकी और सर्फिंग भी करते हैं। निकोलस की सबसे अच्छी बात है जिन्दगी जीने का उनका नजरिया। जहां हम छोटी-छोटी बातों से परेशान हो जाते हैं वहीं निक वुजिसिक जैसे लोग हर पल यह साबित करते हैं कि असंभव कुछ भी नहीं है। मुश्किलों से लड़कर ही तो कामयाबी मिलती है। 

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