दोनों हाथों से लिखते हैं बच्चे। क्या! हां ऐसा सुनने के बाद आपके मन में वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में ख्याल आ गया होगा। चलिए आपको ये पता है कि आइंस्टीन एक ऐसे शख्स थे जो दोनों हाथों से लिखते थे। इनसे ही प्रेरणा लेकर हरियाणा के जींद गांव की सात लड़कियां आज एक साथ दोनों हाथों से लिखती हैं। आज हम आपको इन्हीं लड़कियों के बारे में बताने जा रहे हैं। कैसे किया उन्होंने ये मुश्किल काम आइए जानते हैं।
आइंस्टीन से मिली प्रेरणा
आपको बता दें कि जींद के इस छोटे से गांव उझाना की रहने वाले ये लड़कियां नौवीं कक्षा की छात्रा हैं। एक दिन विज्ञान की कक्षा में शिक्षक इन्हें रिलेटिविटी का सिद्धांत पढ़ा रहे थे। इस दौरान ही आइंस्टीन का जिक्र आया। शिक्षक ने बताया कि वे दोनों हाथों से लिखते थे। यही बात इन लड़कियों में मन में बैठ गई। अब ये लड़कियां स्कूल के खाली समय और घरों पर दोनों हाथों से लिखने का अभ्यास करने लगी। आज आलम ये है कि से सभी लड़कियां फर्राटे से दोनों हाथों से लिखती हैं।
लगातार अभ्यास से निखरा हुनर
गौरतलब है कि लगातार अभ्यास से इन लड़कियों के लिखने की स्पीड़ भी बनने लगी और लिखावट में भी सुधार आने लगा। अब तो ये लडकियां दोनो हाथों से एक साथ हिन्दी, इंग्लिश, संस्कृत और यहां तक कि पंजाबी भी फर्राटेदार लिख लेती है। ये लडकियां गरीब परिवारों से संबंध रखती हैं। इनके परिवार वाले खेती-बाड़ी के जरिए अपना भरन-पोषण करते हैं। इन लड़कियों के परिवार वालों की चाहत है कि ये बच्चियां भी हरियाणा की साक्षी मलिक की ही तरह अपना नाम कमाए। वो तो ये भी चाहते हैं कि उनकी बेटियों के नाम गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकाॅर्ड दर्ज हो। इन लड़कियों के हुनर को देखकर यही कहा जा सकता है कि, ‘‘मुश्किल नहीं है कुछ भी गर ठान लीजिए’’।