धर्मशालाः आस्ट्रेलिया के खिलाफ सिरीज के चौथे व आखिरी टेस्ट मैच में भारतीय कप्तान विराट कोहली के खेलने पर संदेह है। खुद विराट कोहली ने इस बात का खुलासा किया है। शुक्रवार को मैच से एक दिन पहले प्रेस कांफ्रेस में विराट ने कहा है कि अगर वह सौ प्रतिशत फिट होंगे तो ही चौथे टेस्ट मैच में खेलने के लिए मैदान में उतरेंगे। बता दें कि विराट कोहली को रांची में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में कंधे में चोट लग गई थी और उनके खेलने पर संशय पैदा हो गया था।
बहुत अहम है चौथा टेस्ट मैच
हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में शनिवार से शुरू हो रहे चौथे टेस्ट मैच पर सभी की निगाहें हैं। यह सिरीज का आखिरी मैच है और भारत व आस्ट्रेलिया 1-1 की बराबरी पर हैं। रांची में तीसरा टेस्ट मैच ड्रॉ हो गया था। इस मैच में जीत हासिल करने वाली टीम सिरीज पर भी कब्जा कर लेगी। ऐसे में विराट के खेलने पर संशय से भारतीय खेमे व प्रशंसकों में निराशा का माहौल हो सकता है। विराट की कप्तानी भारतीय खिलाड़ी आक्रमकता के साथ प्रदर्शन करते हैं।
रांची टेस्ट में लगी थी चोट, 10 दिन आराम की सलाह मिली थी
रांची में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच के पहले ही दिन फील्डिंग के दौरान विराट के दाएं कंधे में चोट लग गई थी। उन्हें मैदान से बाहर जाना पड़ा था और उसी दिन शाम को रांची में उनका एमआरआई स्कैन कराया गया था। इसके बाद पता चला था कि विराट के कंधे के लिगामेंट्स में खिंचाव आ गया है। रांची में डॉक्टरों ने उन्हें 7 से 10 दिन तक आराम करने की सलाह दी थी, लेकिन विराट तीसरे टेस्ट मैच में बैटिंग करने उतरे थे। हालांकि वह केवल 6 रन ही बना सके थे। विराट ने कहा था कि आस्ट्रेलिया के साथ सिरीज औऱ यह मैच बहुत अहम है। मेरा खेलना जरूरी है। अपने किए वादे को निभाते हुए विराट कोहली तीसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन शनिवार को तीसरे नंबर पर बैटिंग करने के लिए उतरे थे।
विराट ने बढ़ाई थी कुंबले व कपिल की परंपरा
इसके पहले भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कई अन्य खिलाड़ी भी चोटिल होने के बावजूद टीम की जरूरत के लिहाज से मैदान पर उतर चुके हैं। विराट कोहली ने इनकी परंपरा को ही रांची में आगे बढ़ाया था। सबसे अहम नाम आता है, पूर्व लेग स्पिनर अनिल कुंबले का। कुंबले इस समय भारतीय टीम के चीफ कोच भी हैं। 2002 मई में वेस्टइंडीज के खिलाफ एंटीगा टेस्ट मैच में कुंबले के जबड़े में गंभीर चोट लग गई थी। उन्हें मैदान से बाहर जाना पड़ा था औऱ उनके जबड़े में बैंडेज की गई थी। उस समय महान बल्लेबाज ब्रायन लारा बैटिंग कर रहे थे। कुंबले ने भारतीय टीम की जरूरत के लिहाज से जबड़े की चोट के दर्द को भुलाकर 14 ओवर तक गेंदबाजी की और लारा का अहम विकेट भी हासिल किया। महान आलराउंडर कपिल देव ने भी 1980-81 के आस्ट्रेलिया दौरे पर ऐसा ही कमाल किया था। मेलबर्न टेस्ट मैच में भारत 143 रन के छोटे स्कोर को डिफेंड कर रहा था और कपिल देव ग्रोइन इंजरी के कारण खेल पाने की स्थिति में नहीं थे। मौके की नजाकत और टीम की जरूरत को देखते हुए कपिल देव ने पेनकिलर इंजेक्शन लेकर खेलने का फैसला किया और आस्ट्रेलिया के मिडिल आर्डर को शानदार बॉलिंग से उखाड़ फेंका।
संदीप पाटिल ने तो छुड़ा दिए थे छक्के
भारत के महान बल्लेबाजों में शुमार किए जाने वाले संदीप पाटिल भी गंभीर चोट के बावजूद मैदान पर खेलने का जज्बा दिखा चुके हैं। पाटिल ने 1980-81 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले ही टेस्ट में सिर पर गेंद से गंभीर चोट लगने के बावजूद बैटिंग की थी। पाटिल की चोट इतनी गंभीर थी कि उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया और 10 घंटे तक सोने नहीं दिया गया था। अगली सुबह पाटिल मैदान में उतरे और अपनी पहली टेस्ट सेंचुरी बनाई।