नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने आखिरकार शुक्रवार को आम आदमी पार्टी सरकार के 20 विधायकों के लाभ के पद पर काबिज होने संबंधित मामले में अपना अहम फैसला सुना दिया। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस चंद्रशेखर ने अपने फैसले में आप के 20 विधायकों को बड़ी राहत दे दी है।हालांकि इससे पहले चुनाव आयोग ने इन विधायकों की सदस्या रद्द करने की सिफारिश की थी, जिसके बाद राष्ट्रपति ने उनकी सिफारिश को मंजूरी दे दी थी, लेकिन विधायकों की याचिका पर कोर्ट ने फैसला आने तक उपचुनाव नहीं कराने का आदेश दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले के चलते पिछले तीन साल से सत्तासीन आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को राहत माना जा रहा है। क्योंकि सत्ता संभालने के साथ ही उन्हें लगातार राजनीतिक झटके लगते रहे हैं।
कोर्ट ने अपने फैसले में चुनाव आयोग के फैसले को खारिज करते हुए अपना फैसला सुनाया। इसके साथ ही दिल्ली में उपचुनावों की आशंकाओं पर से संकट के बादल हटा दिए हैं। चुनाव आयोग के साथ ही राष्ट्रपति की इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश को भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग विधायकों की याचिका पर दोबारा सुनवाई करे।
बता दें कि जनवरी में AAP विधायकों ने अपनी सदस्यता रद्द किए जाने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था। दरअसल 19 जनवरी को चुनाव आयोग ने संसदीय सचिव को लाभ का पद ठहराते हुए राष्ट्रपति से AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी। उसी दिन AAP के कुछ विधायकों ने चुनाव आयोग की सिफारिश के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया था।
बता दें कि 2015 के आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत पाया था। पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीती थीं। सरकार बनाने वाले अविंद केजरीवाल ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया था। उनमें से एक विधायक जरनैल सिंह भी थे, जिन्होंने बाद में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन चुनाव आयोग ने इसे लाभ का पद मानते हुए इन सभी विधायकों की सदस्या रद्द करने का आदेश सुनाया। बाद में 21 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर करते हुए AAP के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी। इस फैसले के विरोध मेंAAP विधायकों ने हाई कोर्ट में दायर की गई अपनी पहली याचिका को वापस लेकर नए सिरे से याचिका डाली और अपनी सदस्यता रद्द किए जाने को चुनौती दी।
हालांकि इस मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट पहले ही कह चुकी हैं कि आप के सभी 20 विधायक लाभ के पद पर रहे हैं। इन्होंने लाभ लिया या नहीं, यह महत्वपूर्ण नहीं है। यह प्रतिक्रिया कोर्ट ने विधायकों की उस दलील पर दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें संसदीय सचिव बनाया गया। उन्होंने कोई लाभ नहीं लिया, इसलिए यह लाभ का पद नहीं है।