नई दिल्ली। तमाम विरोधों को नजरअंदाज करते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देर रात येरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित कर दी है। इसके साथ ही अपना दूतावास भी वहां स्थानांतरित करने का फैसला लिया है। राष्ट्रपति के आदेश के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि येरूशलम को राजधानी घोषित करने का यही सही समय है और पिछली सरकारों पर इस पर अमल नहीं करने का आरोप भी लगाया।
किसी ने नहीं किया अमल
गौरतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि उनसे पहले बने राष्ट्रपतियों ने इसे चुनावी मुद्दा तो बनाया लेकिन किसी ने भी इसपर अमल नहीं किया। बता दें कि ट्रंप से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, जार्ज बुश एवं बराक ओबामा मध्य पूर्व की हालत को देखते हुए इस पर अमल करने से बच रहे थे। अब डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लिए गए इस फैसले से येरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में अमेरिकी मान्यता मिल गई है।
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ट्रंप का चुनावी वादा
यहां बता दें कि येरूशलम को राजधानी घोषित करने पर कई देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। अरब जगत ने इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसके व्यापक असर होने की आशंका जताई है। वहीं ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और जर्मनी ने भी अमेरिकी फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। यहां गौर करने वाली बात है कि इजरायल की राजधानी को येरूशलम करना ट्रंप का चुनावी वादा था।
शांति प्रक्रिया को धक्का
बता दें कि अब तक की अमेरिकी नीति के अनुसार येरुशलम का भविष्य इजरायल और फिलीस्तीन को बातचीत के जरिए तय करना था। येरूशलम को इजरायल और फिलीस्तीन दोनों ही अपनी राजधानी बनाना चाहते थे लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस शहर पर इजरायल के अधिकार को मान्यता नहीं दे रहा था। अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले की अरब लीग के नेताओं ने कड़ा विरोध किया है और कहा है कि इससे शांति प्रक्रिया को धक्का लगेगा।