अहमदाबाद । महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने शुक्रवार को केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र सरकार का डिजिटिलाइजेशन और कुछ नहीं बल्कि अमेरिकी पेमेंट कंपनियों के आगे समर्पण हैं। उन्होंने कहा कि हम एक 500 रुपये के नोट का हजार बार लेन-देन करते हैं , कोई टैक्स कमिशन नहीं देना पड़ता लेकिन जब इतनी ही राशि को कार्ड के माध्यम से इस्तेमाल करते हैं तो हर बार 9-10 रुपये का कमिशन देना होता है। इसका सीधा लाभ मास्टर कार्ड , वीजा जैसी अमेरिकी कंपनियों को हो रहा है। अब ऐसे में भारत की जनता पर जल्दबाजी में थोड़ा गया है डिजिटिलाइजेशन। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर कई तरह की रिपोर्ट आई हैं, लेकिन उन्हें भारतीय मीडिया नहीं विदेशी मीडिया में पढ़ें, सरकार की करतूतों का खुलासा हो जाएगा।
न्यूज चैनल आज तक के कार्यक्रम गुजरात पंचायत में शिरकत करने पहुंचे चव्हाण ने कहा कि GST तो कांग्रेस का प्रोजेक्ट था। जब कांग्रेस इसे लागू करने की बातें किया करती थी तो भाजपा अड़ंगा लगाती थी और अब इसे लागू किया तो सही तरीके से लागू नहीं किया है। नोटबंदी एक ठीक फैसला था लेकिन इसके बाद जीएसटी को लागू करने में थोड़ी देर की जा सकती थी, इससब के चलते आज धंधे चौपट हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि 8 नवंबर को अपने भाषण में मोदी जी ने नोटबंदी करने के साथ ही फैसला लिया था कि नोटबंदी के जरिए वह भ्रष्टाचार मिटाना चाहते हैं, आतंकियों की फंडिंग पर रोक लगाना चाहते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं इस नोटबंदी की असली कहानी। असल में ये सब मोदी सरकार ने अमेरिकी कंपनियों के दबाव में किया है। उन्होंने कहा कि मास्टर कार्ड और वीजा जैसी पेमेंट कंपनियों के दबाव में भारत को जल्दबाजी में डिजिटलाइजेशन की ओर धकेला जा रहा है। क्रेडिट कार्ड कंपनियां हर एक व्यवहार पर 1.5 से 2 प्रतिशत का कमिशन लेती हैं। एक 500 रुपये का नोट छापने में 4 रुपये का खर्चा आता है। हम हजार बार उसका इस्तेमाल करते हैं तो कोई खर्चा नहीं आता लेकिन अगर हजार बार 500 रुपये के लिए कार्ड का इस्तेमाल करेंगे तो हर बार 9-10 रुपये का कमिशन देना पड़ता है। इसका सीधा लाभ मास्टर कार्ड और वीजा जैसी कंपनियों को पहुंचेगा। अमेरिकी पेमेंट सेक्टर की जो कंपनियां हैं उनके दवाब में आकर मोदी सरकार ने ये डिजिटिलाइजेशन करने में जल्दी की है।