नई दिल्ली। भारत सरकार जल्द ही लघु बचत योजना में निवेश करने वालों को एक बड़ा तोहफा दे सकती है। केंद्र सरकार ने अपने बजट 2018 में इस तरह का प्रस्ताव खाताधारकों के लिए रखा है। अगर संसद में ये प्रस्ताव पारित हो जाता है तो इन बचत योजनाओं को खाताधारक कभी भी बंद कर सकेंगे। ऐसे में लाॅक इन पीरियड की बाध्यता नहीं रहेगी। यहां बता दें कि लघु बचत योजना के लिए फिलहाल अलग-अलग लॉक-इन पीरियड है, जिसके कारण लोगों को तय अवधि तक निवेश करना होता है और उसके बाद ही वो अपनी जमा राशि निकाल सकते हैं।
ज्यादा निवेश होगा
गौरतलब है कि सरकार पीपीएफ सहित सभी योजनाओं के लिए कानून में बदलाव करने जा रही है इस कानून के बन जाने के बाद सभी लघु बचत खाते बैंकों में चलने वाले आम बचत खाते में तब्दील हो जाएंगे। सरकार के इस नए कानून के आने से खाताधारक किसी भी वक्त उससे पैसे निकाल सकते हैं और उसे बंद भी कर सकते हैं। सरकार का मानना है कि ऐसा करने से ज्यादा से ज्यादा लोग इन लघु बचत योजनाओं में निवेश करेंगे।
पीपीएफ में 15 साल का है लॉक-इन पीरियड
यहां बता दें कि मौजूदा वक्त में पीपीएफ में 15 साल का लॉक-इन पीरियड है जिसमें 7 साल के बाद 4 साल तक जमा हुई कुल राशि की 50 फीसदी रकम निकाली जा सकती है। पीपीएफ खाते को खाताधारक 5 साल बाद बंद कर सकते हैं लेकिन उनपर ब्याज नहीं मिलेगा।
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नये कानून से इन खातों पर पड़ेगा असर
स्मॉल सेविंग एक्ट के खत्म होने से जिन अकाउंट्स पर सर्वाधिक असर पड़ेगा, उनमें पोस्ट ऑफिस सेविंग बैंक अकाउंट, नेशनल सेविंग मंथली इनकम, नेशनल सेविंग आरडी अकाउंट, सुकन्या समृद्धि अकाउंट, नेशनल सेविंग टाइम डिपॉजिट (1,2,3 और 5 साल), सीनियर सिटीजंस सेविंग स्कीम, एनएससी, पीपीएफऔर किसान विकास पत्र शामिल हैं।
सब कुछ संसद पर निर्भर
अगर संसद बजट के इस प्रस्ताव पर मुहर लगा देती है, तो फिर सरकार गजट में नए कानून को लागू करने की अधिसूचना जारी कर देगी। अगर यह हो गया तो सरकार देश भर में लागू सोशल सिक्युरिटी के नाम पर चल रही तमाम स्कीमों को बंद कर देगी। इस कानून के लागू हो जाने के बाद आपको इन योजनाओं पर मिलने वाला ब्याज, बैंकों में मिलने वाले ब्याज के समान हो जाएगा।