नई दिल्ली । देश में नोटबंदी के बाद जहां कुछ कंपिनयों ने अपने संस्थान के खर्चों में कटौती करते हुए अपने यहां से स्टॉफ की छंटनी की, तो कुछ अच्छी कंपनियों ने देश में मंदी का हवाला देते हुए अपने कर्मचारियों की सैलरी में मामूली बढ़त की। इस सब के बीच ऑक्सफेम की सोमवार को जारी एक रिपोर्ट से सामने आया है कि भारत के धनकुबेरों की संपत्ति में वर्ष 2018 में प्रतिदिन करीब 2200 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। जबकि पिछले साल मात्र 1 फीसदी धनकुबेर 39 फीसदी अधिक अमीर हुए । वहीं आर्थिक रूप से कमजोरों की संपत्ति में महज 3 फीसदी का इजाफा हुआ।
ऑक्सफेम की यह रिपोर्ट दावोस में होने वाले वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम से पहले सामने आई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में संपत्तियां कुछ ही लोगों तक सिमटती जा रही हैं। भारत में 26 ऐसे लोग हैं, जिनके पास इतनी संपत्ति है, जितनी दुनिया के 3.8 अरब लोगों के पास संपत्ति है। वहीं भारत की 10 फीसदी आबादी के पास देश की कुल संपत्ति का 77.4 फीसदी है। इतना ही नहीं देश की 1 फीसदी जनसंख्या ऐसी है, जिसके पास देश की कुल संपत्ति का 51.53 फीसदी हिस्सा है।
ऑक्सफेम इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक विनी ने कहा, यह काफी अपमानजनक भी है कि कुछ ही अमीर लोग भारत की संपत्ति में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाते जा रहे हैं। हालांकि भारत में अभी भी ऐसा एक वर्ग है, जो अपने लिए दो समय की रोटी और दवाई का इंतजाम भी बड़ी मुश्लिक से कर पा रहा है।
संस्था ने कहा कि भारत की करीब आधी आबादी की आर्थिक ग्रोथ बीते साल काफी कम गति से आगे बढ़ी. 50 फीसदी से अधिक लोगों की संपत्ति में तीन फीसदी के हिसाब से इजाफा हुआ। वहीं अगर वैश्विक तौर पर देखें तो दुनिया के करोड़पतियों की संपत्ति में प्रति दिन 12 फीसदी के हिसाब से बढ़ोतरी हुई। जबकि दुनियाभर में मौजूद गरीब लोगों की संपत्ति में 11 फीसदी का घाटा देखने को मिला है। देश के सबसे अधिक नौ अमीरों के पास कुल जनसंख्या के 50 फीसदी अधिक लोगों से ज्यादा संपत्ति है।