नई दिल्ली । देश में मौजूद रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर मोदी सरकार किसी प्रकार के नर्म रुख अख्तियार करने के मूड में नजर नहीं आ रही है। रोहिंग्या मुसलमानों के पक्ष में खड़े हुए कई मुस्लिम संगठनों के बावजूद सरकार म्यांमार के इन शरणार्थियों को भारत में शरण देने के पक्ष में नहीं है। इस मामले को लेकर भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जहां म्यांमार सरकार से इन्हें वापस लेने का अनुरोध किया, वहीं हिंसा के मामले को लेकर बांग्लादेशी सरकार से भी बात की है। इस बीच भारतीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे इससे जुड़े मामले की सुनवाई के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में इन रोहिंग्या मुसलमानों के मामले में 18 सितंबर को एक हलफनामा दायर करने की बात कही है।
भारत के लिए खतरा हैं रोहिंग्या मुसलमान
बता दें कि देश में मौजूद रोहिंग्या मुसलमानों को भारत सरकार ने यहां की शांति के लिए खतरा करार दिया है। सरकार का कहना है कि देश की खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर ही इन्हें शरण देने को लेकर सरकार सहमत नहीं है। भारत सरकार इन्हें देश के लिए खतरा मान रही है। सरकार का कहना है कि कुछ रोहिंग्या आतंकी संगठनों के साथ मिले हुए हैं। ऐसे में इन्हें वापस म्यांमार भेजने की कवायद तेज हो गई है। सरकार इस मामले में 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल करेगी। सरकार का कहना है कि रोहिग्या किसी भी सूरत में भारत में नहीं रह सकते।
जम्मू-कश्मीर-दिल्ली-हैदराबाद में सक्रिय
सरकार के अनुसार इस समय रोहिंग्या आतंकी समूहों के तौर पर जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में सक्रिय हैं। ऐसे में रोहिंग्याओं को आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट आतंकी गतिविधियों में लगा सकता है। खुफिया जानकारी के अनुसार कुछ रोहिग्या मुसलमान आतंकी संगठनों के संपर्क में हैं। ये लोग भारत के मौजूदा हालात में सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। ऐसे में सरकार ने इन्हें वापस म्यांमार भेजने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।
बांग्लादेश में लग रहा जमावड़ा
इस सब के बीच भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बांग्लादेश के अपने समकक्ष से इस मुद्दे को लेकर बातचीत की है। वहीं उन्होंने म्यांमार सरकार से भी इस मुद्दे पर बात की है। उन्होंने इन मुसलमानों को वापस लेने का अनुरोध दिया है। इससे इतर म्यांमार में इन रोहिंग्या मुसलमानों के साथ हो रही हिंसा के बाद बड़ी संख्या में ये लोग बांग्लादेश आ गए थे।
यह मौलिक अधिकार नहीं
जम्मू कश्मीर में रह रहे करीब 7000 रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए कहा था कि उनका आतंकवाद और किसी आतंकी संगठन से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें सिर्फ मुसलमान होने की वजह से निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि सरकार ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए एक हलफनामें में कहा है कि रोहिंग्या मुसलमानों के आतंकी संगठनों के साथ मिले होने की खुफिया जानकारी है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि ये मौलिक अधिकारों के तहत नहीं आता है।
भारत संयुक्त राष्ट्र नियमों के तहत सही
बता दें कि भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिम अवैध तौर पर रह रहे हैं। इनमें से अधिकांश जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद, दिल्ली, हरियाणा के मेवात में रह रहे हैं। इन्हें वापस म्यांमार भेजने के लिए मोदी सरकार ने सख्त रुख अख्तियार किया है। भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमों के अनुरूप कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 18 सितंबर को करेगी।