मुंबई । शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि आखिर लोग पूछते हैं कि देश में छत्रपति शिवाजी और बाला साहेब ठाकरे के स्मारक का क्या इस्तेमाल है, लेकिन इन लोगों को यह याद रखना चाहिए कि अगर शिवाजी और बाला साहेब नहीं होते तो पाकिस्तान की सीमा तुम्हारी दहलीज तक आ गई होती और बाला साहेब नहीं होते तो हिन्दुओं को भी नमाज पढ़नी होती। शिवसेना ने यह बाते अपने मुखपत्र सामना में लिखे एक संपादकीय में कहीं है। इस दौरान उन्होंने शिवसेना के शिवाजी स्मारक के निर्माण को लेकर इसका विरोध करने वालों पर जमकर निशाना साधा।
पार्टी के मुख्यपत्र सामना में लिखे संपादकीय में शिवसेना ने भाजपा के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा। शिवसेना ने सरकार से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखने में वह क्यों असफल हुई। शिवसेना ने कहा कि यह इस तथ्य के बावजूद हुआ कि सरकार चुनावों में ‘‘जीत के लिए खरीद-फरोख्त करने’’ जैसे अन्य मुद्दों पर कभी असफल नहीं होती। पार्टी ने कहा है, ‘‘कुछ लोग पूछते हैं छत्रपति शिवाजी और बालासाहेब ठाकरे के स्मारक का क्या इस्तेमाल है? छत्रपति शिवाजी महाराज नहीं होते तो पाकिस्तान की सीमा तुम्हारी दहलीज तक आ गई होती और बालासाहेब ठाकरे नहीं होते तो हिंदुओं को भी नमाज पढ़नी पड़ता।’
संपादकीय में शिवसेना ने सवाल किया कि क्या अदालत स्मारक के निर्माण के बीच आ रही है या यह कोई और है जो नहीं चाहता कि यह बने तथा वह न्यायपालिका को ढाल के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है?’’ शिवसेना ने कहा कि यह परियोजना 3600 करोड़ रुपये की है लेकिन सरकार शुरुआत से ही इसे लेकर गंभीर नहीं थी। शिवसेना ने अदालत में शिवाजी स्मारक के निर्माण का मुद्दा अटकाने को ‘‘शर्मनाक’’ बताया।
पार्टी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर शिवाजी स्मारक का निर्माण रोक दिया है। यह बार-बार हो रहा है जिससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या सरकार स्मारक बनाने को लेकर गंभीर है।