नई दिल्ली। महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा और प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किए गए बुद्धिजीवियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई करते हुए उनकी नजरबंदी को 19 सितंबर तक बढ़ा दिया है। इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में कहा था इन सभी बुद्धिजीवियों को सबूतों के आधार पर ही गिरफ्तार किया है। कोर्ट ने भी सभी सबूतों की जांच की बात कही है। गौर करने वाली बात है कि देश के अलग-अलग हिस्सों से गिरफ्तार किए गए बुद्धिजीवियों को लेकर राजनीति भी काफी हुई। विपक्षी दलों ने भाजपा पर दमनकारी नीति अपनाने का आरोप लगाया।
यहां बता दें कि भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के बाद कई नक्सल नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनके ठिकानों पर छापेमारी करने पर कई ऐसे पत्र मिले थे जिसमें प्रधानमंत्री की हत्या करने की साजिश की बात कही गई थी। हालांकि विपक्षी दलों के साथ लेफ्ट पार्टी ने भी सरकार पर जानबूझकर अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगाने और सरकार के खिलाफ बोलने वालों का मुंह बंद करने का आरोप लगाया था।
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यहां बता दें कि महाराष्ट्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया था कि इन सभी लोगों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं और उसी के आधार पर इनकी गिरफ्तारी की गई है। सोमवार को कोर्ट ने भी इनकी नजरबंदी की तारीख को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सबूतों के आधार पर ही अंतिम फैसला लिया जाएगा। अब 19 सितंबर को होने वाली बहस में दोनों ही पक्षों को अपना पक्ष रखने के लिए 10-10 मिनट का समय दिया जाएगा।