कोलकाता । लोकसभा चुनावों के बाद से पश्चिम बंगाल में राजनीति हिंसा का दौर जारी है । पिछले दिनों भाजपा ने राज्य की टीएमसी पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने कई कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप लगाया था । कुछ कुछ समय से भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच में राज्य के कई हिस्सों में भिड़ंत हुई है , जिसमें भाजपा और टीएमसी कार्यकर्ताओं की मौत भी हुई है । इस सब के बाद अब पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई है । इस हिंसा में TMC के तीन कार्यकर्ताओं की मौत हो गई है । जानकारी के मुताबिक दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में पिछले कुछ दिनों से गतिरोध था । शनिवास सुबह टीएमसी कार्यकर्ताओं के घर बम फेंक विस्फोट किया गया,जिसमें एक शख्स की मौत हो गई । पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस और टीएमसी के बीच हुए टकराव के चलते टीएमसी कार्यकर्ता खैरुद्दीन शेख और सोहेल राणा और एक अन्य कार्यकर्ता की मौत हो गई ।
विदित हो कि लोकसभा चुनावों से पहले शुरू हुई राजनीति हिंसा में ढोमकोल पंचायत समिति के अल्ताफ हुसैन की भी हत्या कर दी गई थी । इस घटना के मुख्य आरोपी को कुछ दिन बाद रिहा कर दिया गया था । शनिवार को हुई हिंसा में मारे गए टीएमसी कार्यकर्ता सोहेल राणा और खैरुद्दीन शेख असल में अल्ताफ हुसैन के ही बेटे हैं। घटना के बाद से इलाके में तनाव है । सरकार ने मामले की नजाकत को समझते हुए पूरे इलाके में भारी पुलिस बल तैनात है । टीएमसी कार्यकर्ता ने तीनों की हत्या के पीछे कांग्रेस की साजिश बताया है ।
घटना को लेकर मारे गए खैरुद्दीन के बेटे ने कहा कि हम सो रहे थे, तभी अचानक घर पर बम से हमला हुआ । मेरे पिता को निशाना बनाते हुए हमला किया गया । कुछ दिन पहले मेरे चाचा की भी हत्या कर दी गई थी । उन्होंने इस हत्या के पीछे कांग्रेस का हाथ बताया है।
बता दें कि लोकसभा चुनाव खत्म हो गए हैं लेकिन बंगाल में राजनीतिक हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है । हाल ही में उत्तर 24 परगना जिले के हसनाबाद में बीजेपी महिला कार्यकर्ता की गोली मारकर हत्या की गई थी । अमलानी पंचायत में 42 वर्षीय सररस्वती दास पर गुरुवार रात बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की। इससे पहले संदेशखली के हतगाची इलाके में तृणमूल और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी. मामूली बात को लेकर शुरू हुई इस झड़प ने हिंसक रूप ले लिया और गोलियां चलने लगी. इस घटना में भाजपा के तीन से चार कार्यकर्ता मारे गए, जबकि टीएमसी के भी तीन कार्यकर्ता मारे गए थे ।