नई दिल्ली । लोकसभा चुनावों से पहले तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा-कांग्रेस समेत बसपा-सपा और कई अन्य दलों ने अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। लेकिन इस सब के बीच भाजपा और कांग्रेस के लिए टिकट वितरण में काफी परेशानियां आ रही हैं। असल में इस बीच मध्य प्रदेश में एससी/एसटी एक्ट के मसले पर उठे सियासी तूफान के कारण पार्टियों के लिए इस बार टिकटों का वितरण इतना आसान नहीं रह गया है। इस बार इन मुद्दों को लेकर दो नए संगठन उभरकर राजनीति की जमींन पर नजर आए हैं, दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों के वोट बैंक को प्रभावित करने में सक्षम हैं। इसके चलते भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों को टिकट वितरण को लेकर खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
एससी/एसटी एक्ट पर मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा हंगामा
बता दें कि एससी/एसटी एक्ट के मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सबसे ज्यादा सुर मध्य प्रदेश में ही उठे हैं। जहां सत्ता पक्ष के ही कुछ नेताओं ने एससी/एसटी एक्ट को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया है, वहीं विपक्ष के भी कई नेता भी इस मुद्दे को लेकर घिर रहे हैं। 28 नवंबर को होने जा रहे विधानसभा चुनावों से पहले इस मुद्दे को लेकर एकाएक राजनीति समीकरण बनने बिगड़ने की हवा भी चल पड़ी है।
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सपाक्स ने 230 सीटों पर चुनाव लड़ने के दिए संकेत
एससी-एसटी एक्ट को लेकर बनते बिगड़ते समीकरणों के बीच सामान्य, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था (सपाक्स) ने सूबे की सभी 230 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। सामान्य श्रेणी के लोगों का प्रतिनिधित्व कपने वाली इस संस्था के प्रमुख हीरालाल त्रिवेदी ने कहा, "हम चाहते हैं कि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम(एससी/एसटी एक्ट) में संशोधनों को फौरन वापस लिया जाए। इसके साथ ही, समाज के सभी तबकों के लोगों को शिक्षा संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाये। उन्होंने कहा कि सपाक्स की मांग है कि देश भर में सरकार की किसी भी योजना के हितग्राहियों का चयन जाति के आधार पर नहीं किया जाये और सभी वर्गों के वंचित लोगों को शासकीय कार्यक्रमों का समान लाभ दिया जाए।
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जयस ने आरक्षण प्रणाली में छेड़छाड़ पर दी चेतावनी
जहां एक ओर सपाक्स ने संशोधन को फौरन वापस लेने के लिए कहा है वहीं राज्य में जनजातीय समुदाय के दबदबे रखने वाली और करीब 80 विधानसभा सीटों पर दमखम आजमाने की तैयारी कर रहे संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) के संरक्षक हीरालाल अलावा ने कहा कि मौजूदा आरक्षण प्रणाली से किसी भी किस्म की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं होगी। एम्स में सहायक प्रोफेसर की नौकरी छोड़कर सियासी मैदान में उतरे हीरालाल का कहना है कि देश में अब भी बड़े पैमाने पर सामाजिक और आर्थिक असमानताएं हैं। सुदूर इलाकों में रहने वाले आदिवासी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। ऐसे में आरक्षण प्रणाली के मामले में यथास्थिति बनाये रखने की जरूरत है।
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भाजपा-कांग्रेस पर चोट
इन दोनों संस्थाओं के रवैये और रुख ने यह बात तो साफ कर दी है आने वाले विधानसभा चुनावों में काफी कुछ नाटकीय घटनाक्रम आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे। साफ है कि इन संस्थाओं का यह रुख भाजपा और कांग्रेस को टिकट वितरण में भी काफी परेशानी में डालेगा। जहां सपाक्स ने 230 सीटों पर चुनाव लड़ने के दिए संकेत दिए हैं। वहीं जयस ने आरक्षण प्रणाली में छेड़छाड़ पर सरकार को चेतावनी दी है। ये दोनों ही संस्था भाजपा और कांग्रेस के वोट बैंक को खासा नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में इनकी अनदेखी करना और इनकी बातों को मानना दोनों ही सूरत में दोनों दलों के लिए खासी दिक्कतें पेश करने वाली हैं।