हर व्यक्ति ज्ञान,बुद्धि और कला की कामना करता है। और इन सभी का स्रोत माँ सरस्वती ही है। इसी कारण माँ सरस्वती की पूजा या बसंत पँचमी का त्योहार संपूर्ण भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हर वर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी पर पड़ता है। इस वर्ष ये त्योहार 10 फरवरी को मनाया जाएगा। कहा जाता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से धरती पर जल की वर्षा की थी जिससे वीणा हाथ में लिए माँ सरस्वती जी का जन्म हुआ और संसार में वाणी का आगमन हुआ।
ऐसे तो बसंत पँचमी का त्योहार सभी के शुभ कारक होता है किन्तु विद्यार्थियों और कलाकारों के लिए इस दिन का विशेष महत्व है। वेदों-पुराणों में बसंत पँचमी पर पूजा-अर्चना का विशेष महत्व बताया गया है साथ ही इस दिन व्यवहार में लाने हेतु कुछ नियम भी बतायें गयें है जिनके आचरण से माँ सरस्वती अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें सद्बुधि का आशीर्वाद देती है।
1. पीले वस्त्र- बसंत पचँमी पर पीले वस्त्रों का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन पीले वस्त्र धारण करने से माँ सरस्वती का आशीर्वाद सदा बना रहता है।
2. मधुर वाणी- इस दिन किसी को भी कुछ अपशब्द न कहें । वाणी में मधुरता रखें।
3.सरस्वती वंदना-इस दिन प्रात काल जल्दी उठ स्नान करके माँ सरस्वती की वंदना करने से जीवन में सुख-शांति का प्रसार होता है।
4.अहिंसा- बसंत पँचमी के दिन किसी भी प्रकार की हिंसा व वाद-विवाद से बचें। यहाँ तक की इस दिन जानवरों व पेड़-पौधों को भी नुकसान नही पहुँचाना चाहिए।