नई दिल्ली/लखनऊ । लोकसभा चुनावों के लिए इलेक्शन कमिशन ने अपनी रणभेरी बजा दी है। अब राजनीतिक दल अपने सियासी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-रालोद का गठबंधन होने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी भी टिकट वितरण को लेकर अपनी नई रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए मंथन कर रही है। ऐसी खबरें है कि 80 लोकसभा सीटों वाले यूपी में भाजपा अपने करीब 25 सांसदों के टिकट काटने जा रही है। पार्टी के कुछ सर्वे में यह बात सामने आई है कि मोदी लहर में जीतकर सांसद बने दो दर्जन से ज्यादा नेताओं से जनता खुश नहीं है । ऐसे में खबरें आ रही हैं कि पार्टी आलाकमान इन नेताओं की जगह योगी सरकार के मंत्रियों और नेताओं को टिकट देकर लोकसभा चुनावों में उतार सकता है।
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सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ समय में लोकसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा ने यूपी में कुछ सर्वे करवाए थे। इन सर्वे में सामने आया कि 2014 में भाजपा ने मोदी के नेतृत्व में यूपी में बहुत शानदार प्रदर्शन किया था लेकिन अब यूपी में दो दर्जन से ज्यादा ऐसे सांसद हैं, जिनके खिलाफ उनके लोकसभा क्षेत्रों में शिकायतें बहुत ज्यादा हैं। इस सब के बीच पार्टी ने भी एक रिपोर्ट कार्ड बनाया था, जिसमें हर सांसद के कामकाज की समीक्षा की गई थी, इसमें सामने आया कि कई सांसदों ने संतोषजनक कार्य नहीं किया ।
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इनमें अधिकांश सांसद वहीं हैं जो 2014 के लोकसभा चुनावों में दूसरे दलों से भाजपा में आए और मोदी लहर में चुनाव जीत गए। इसके साथ ही आरक्षित सीटों के ज्यादातर सांसदों से भी उनकी लोकसभा सीट के लोग नाराज हैं।इस सब के बीच अब खबरें ये या रही है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इन सांसदों के टिकट काटकर कुछ नए चेहरों को मौका दे सकता है। वहीं योगी सरकार के कुछ मंत्रियों और विधायकों को लोकसभा के चुनावी मैदान में उतार सकता है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक रीता बहुगुणा जोशी, बृजेश पाठक, स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान, एसपी सिंह बघेल सहित कई ऐसे नाम हैं जो चुनाव मैदान का रुख कर सकते हैं।