नई दिल्ली। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के साथ राशन की होम डिलीवरी और आईएएस अधिकारियों की हड़ताल खत्म कराने को लेकर पिछले 7 दिनों से एलजी हाऊस में धरने पर बैठे आम आदमी पार्टी के नेताओं पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उपराज्यपाल के कार्यालय में धरना देने के अनुमति किसने दी है। कोर्ट ने पूछा कि क्या एलजी ऑफिस में बैठने के लिए एलजी की इजाजत ले ली गई है? वहीं, भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने भी याचिका दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि केजरीवाल को हड़ताल खत्म करने का आदेश दिया जाए। यहां बता दें कि सीएम केजरीवाल ने आईएएस अधिकारियों को अपनी तरफ से पूरी सुरक्षा देने का भरोसा दिलाया है।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि अरविंद केजरीवाल और मंत्री हड़ताल या धरना प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं क्योंकि वे संवैधानिक पदों पर बैठे हुए हैं। ऐसे में उनके हड़ताल को असंवैधानिक और गैरजिम्मेदाराना करार दिया जाए। जनहित याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि सीएम के अनशन पर बैठने से पूरी दिल्ली का काम ठप हो गया है, उन्हें फौरन काम पर लौटने के आदेश देने के साथ ही आईएएस अधिकारियों को भी हड़ताल खत्म कर काम पर लौटने के आदेश देने की मांग की गई है।
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यहां बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और गोपाल राय पिछले 8 दिनों से अनशन पर बैठे हैं। सत्येंद्र जैन और मनीष सिसौदिया तो भूख हड़ताल पर हैं। गौर करने वाली बात है कि भूख हड़ताल की वजह से सत्येंद्र जैन की हालत देर रात अचानक ही बिगड़ गई जिसके बाद उन्हें एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। फिलहाल उनकी तबीयत में तेजी से सुधार हो रहा है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री और नेताओं के द्वारा किए जा रहे अनशन पर भाजपा के विधायक विजेंद्र गुप्ता ने भी हाईकोर्ट में याचिका में दायर कर अरविंद केजरीवाल के फौरन काम पर लौटने के आदेश का अनुरोध किया गया है।