नई दिल्ली। देश के ज्यादातर इलाकों में अंधेरा छा सकता है। जी हां, देश के 122 बिजली घरों में कोयले की भारी किल्लत हो गई है। मानसून सीजन के दौरान लगातार बारिश होने की वजह से ऐसा माना जा रहा था कि बाद मंे स्थिति सुधर जाएगी लेकिन पावर स्टेशनों में अभी तक कोयले की आपूर्ति नहीं हो रही है। कोयले की आपूर्ति नहीं सुधरने पर त्यौहार में बिजली की बढ़ी मांग पूरा करने में दिक्कत हो सकती है। कोयला सचिव की ओर से कोल इंडिया को पत्र लिखकर स्थिति में सुधार लाने को कहा गया है।
गौरतलब है कि करीब 10 बिजली घरों के पास अतिरिक्त कोयले का स्टाॅक नहीं है जबकि नियमों के अनुसार बिजली घरांे के पास कम से कम 15 दिनों का स्टाॅक होना चाहिए। बताया जा रहा है कि देश के 46 बिजली घर ऐसे हैं, जिनके पास सिर्फ 1 से 3 दिनों के लिए कोयले का स्टॉक था। 20 पावर प्लांट के पास 6 दिनों तक के लिए कोयले का स्टॉक पाया गया। वहीं 31 पावर प्लांट के पास 7 से 15 दिनों के लिए कोयले का स्टॉक था।
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यहां बता दें कि कोल इंडिया के अधिकारी ने बताया कि उनके पास कोयला तो है लेकिन रेलवे के पास उसे ढोने के लिए रैक नहीं है। अब बिजली घर या एल्युमीनियम प्लांट को ट्रकों से तो कोयले की आपूर्ति हो नहीं सकती। इस समय जो रैक उपलब्ध हैं, उनसे बिजली घरों को कोयला भेजा जा रहा है। आपको बता दें कि इस समय कोयला और रेलवे, दोनों मंत्रालयों की जिम्मेदारी पीयूष गोयल के पास है।
सरकार ने कोयले की आपूर्ति में बिजली क्षेत्र को प्राथमिकता देने का लिखित आदेश दिया है। सप्लाई की दूसरी वरीयता राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड, नाल्को और सेल जैसे केंद्र सरकार के उपक्रमों को रखा गया है। कोयले की कमी की वजह से एल्युमीनियम उद्योग को खासी दिक्कत हो रही है। एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कोयला सचिव को लिखे एक पत्र में कहा है कि इससे उद्योग के कैप्टिव पावर प्लांट बंद होने के कगार पर आ जाएंगे।